sangya संज्ञा उस विकारी शब्द को कहते हैं , जिससे प्रकृत या कल्पित सृस्टि की किसी वस्तु का नाम सूचित करता हो । दूसरे शब्दों में संज्ञा वे शब्द हैं जो किसी व्यक्ति, प्राणी, वस्तु, स्थान, भाव आदि के नाम के रूप में प्रयुक्त होते हैं। जैसे—राकेश, घोड़ा, गंगा, हैदराबाद, सेब, मेज, चौड़ाई, बुढ़ापा आदि। इस लक्षण में ‘वस्तु’ शब्द का उपयोग अत्यंत व्यापक अर्थ में किया गया है। वह केवल प्राणी और पदार्थ ही का वाचक नहीं है, किंतु उनके धर्मों का भी वाचक है।
उदहारण – इन वाक्यों में संज्ञा के प्रयुक्त रूपों को देखिये –
रमेश कल घर पर ही था।
मैं कल हरिद्वार जाऊंगा |
सीता पुस्तक पढ़ रही है।
बगीचे के फूल कितने सूंदर लग रहे हैं।
रीता स्कुल जा रही है।
निम्नलिखित लक्षणों के आधार पर संज्ञा पदों को पहचाना जा सकता है-
- कुछ sangya संज्ञा पद प्राणिवाचक होते हैं और कुछ अप्राणिवाचक । प्राणिवाचक हैं— बच्चा, भैंस, चिड़िया, आदमी, राकेश और अप्राणिवाचक हैं–किताब, मकान, रेलगाड़ी, रोटी, पर्वत आदि।
- कुछ संज्ञा शब्दों की गिनती की जा सकती है और कुछ की गिनती नहीं की जा सकती; जैसे- आदमी, पुस्तक, केला की गणना की जा सकती है, इसलिए ये गणनीय संज्ञाएँ हैं। दूध, हवा, प्रेम की गणना नहीं की जा सकती, इसीलिए ये अगणनीय संज्ञाएँ हैं।
- संज्ञा पद के बाद परसर्ग (ने, को, से, के लिए, में, पर आदि) आ सकते हैं, जैसे- राम ने, मोहन को, लड़की के लिए, चाकू से, दिल्ली में, ऊँचाई पर। 4. संज्ञा पद से पूर्व विशेषण का प्रयोग हो सकता है, जैसे-छोटी कुरसी, काला घोड़ा, अच्छा लड़का आदि। परसगं या विशेषण न होने पर भी संज्ञा पद किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान या भाव के नाम के कारण पहचाना जा सकता है, जैसे – (i) मोहन जाता है। (ii) गरिमा फल खाती है।
sangya संज्ञा के कार्य (Functions of Noun) वाक्य में संज्ञा पद कर्ता, कर्म, पूरक, करण, अपादान, अधिकरण आदि कई प्रकार की भूमिकाये निभाता है –
- रीता खेल रही है। (कर्ता के रूप में)
- वह पुस्तक पढ़ रहा है। (कर्म के रूप में)
- राजू विद्यार्थी है। (पूरक के रूप में)
- मैंने चाकू से सेब काटा। (करण के रूप में)
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SANGYA KE BHED
संज्ञा के कितने भेद होते हैं ?
संज्ञा के भेद (Kinds of Noun)
sangya संज्ञा के मुख्यरूप से संज्ञा के पांच भेद माने जाते हैं –
- व्यक्तिवाचक संज्ञा
- भाववाचक संज्ञा
- जातिवाचक संज्ञा
- द्रव्यवाचक संज्ञा
- समुदायवाचक संज्ञा
अब हम विस्तार से सभी संज्ञा के भेदों को भली प्रकार से समझेंगे –
1. व्यक्तिवाचक संज्ञा (Proper Noun)
जिस sangya संज्ञा पद से किसी विशेष व्यक्ति, स्थान या वस्तु के नाम का बोध हो, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे- रवि (व्यक्ति विशेष), कामधेनु (गाय-विशेष), गंगा (नदी-विशेष), हिमालय (पर्वत-विशेष), भारत (देश-विशेष), मुंबई (शहर विशेष) आदि।
2. जातिवाचक संज्ञा (Common Noun)
जिस sangya संज्ञा पद से किसी जाति या वर्ग के सभी प्राणियों, वस्तुओं या स्थानों का बोध हो, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे- आदमी, गाय, शेर, शहर, मेज, नदी, पहाड़, पुस्तक आदि।
स्थान: गाँव, शहर, मोहल्ला, पहाड़, बाजार, छत, देश महाद्वीप, मैदान आदि।
प्राणी: लंगूर, कौआ, हिरन, चातक, मछली, साँप, आदमी, लड़की, महिला आदि।
वस्तुएँ: चौपड़, चाट, गोलगप्पा, समोसा, चावल, गेहूँ, तेल, आटा, कार, साइकिल आदि।
3. भाववाचक संज्ञा (Abstract Noun)
जिन sangya संज्ञा शब्दों से प्राणियों, मनुष्यों और वस्तुओं के गुण, दोष, स्वभाव, अवस्था, स्थिति, कार्य, भाव और दशा आदि का ज्ञान होता है, उन्हें भाववाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे- मानवता, राष्ट्रीयता, बचपन, चोरी, ममता, सहायता, मुस्कान, जीवन आदि।
4. द्रव्यवाचक संज्ञा (Material Noun)
किसी पदार्थ (सामग्री) या द्रव्य का बोध कराने वाले शब्दों को द्रव्यवाचक संज्ञा कहते है। जैसे-सोना, चाँदी, लकड़ी, चावल, अन्न, तेल आदि।
५. समुदायवाचक / समूहवाचक संज्ञा (Collective Noun)
बहुत से शब्द किसी एक व्यक्ति के वाचक न होकर समूह (समुदाय) के वाचक होते हैं। इनमें उनके समूह का ज्ञान होता है। जैसे—सेना, पुलिस, कक्षा, परिवार, सभा आदि। ये शब्द सजातीय प्राणियों/वस्तुओं के समूह को एक इकाई के रूप में प्रकट करते हैं, अत: ये एकवचन में होते हैं.
संज्ञा के भेदों का परिवर्तन
व्यक्तिवाचक, जातिवाचक और भाववाचक संज्ञाएँ कई बार एक-दूसरे के स्थान पर प्रयुक्त हो जाती हैं।
- व्यक्तिवाचक संज्ञा का जातिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग
व्यक्तिवाचक संज्ञा अनेक बार जातिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयुक्त होती है। जैसे—
(क) देश को हानि जयचंदों से होती है।
(ख) हरिश्चंद्रों की सत्यवादिता और ईमानदारी से ही भारत का सम्मान बना हुआ है।
(ग) नारी का सम्मान आधुनिक रावणों के कारण असुरक्षित है। इस देश को नटवरलालों ने ही नहीं नेताओं ने भी ठगा है।
जयचंद, हरिश्चंद्र, रावण और नटवरलाल शब्द व्यक्तिवाचक संज्ञा हैं। इन वाक्यों में इनका प्रयोग जातिवाचक संज्ञा के रूप में हुआ है।
जयचंद देशद्रोही के रूप में जाना जाता है। राजा हरिश्चंद्र अपनी सत्यनिष्ठा के लिए प्रसिद्ध हैं। रावण सीता के अपहरणकर्ता के रूप में कुख्यात है। नटवर अपनी ठगी के लिए जाना जाता है। इन व्यक्तिवाचक संज्ञाओं के बहुवचन रूप बना देने से ये जातिवाचक संज्ञाएँ बन गए हैं।
जातिवाचक संज्ञा का व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग
कई बार जातिवाचक संज्ञा का प्रयोग व्यक्तिवाचक के रूप में होता है। जैसे
(क) देशरल सच्चे अर्थों में भारतीय किसानों के प्रतिनिधि थे।
(ख) लौहपुरुष के दृढ़ संकल्प ने भारत को एकरूपता प्रदान की।
(ग) नेताजी का ‘जय हिंद’ का नारा आज भी गूँजता रहता है। इन वाक्यों में आए देशरत्न, लौहपुरुष और नेताजी जैसे शब्द जातिवाचक संज्ञा हैं। यहाँ इनका प्रयोग डॉ० राजेंद्र प्रसाद, सरदार वल्लभभाई पटेल और सुभाषचंद्र बोस के लिए हुआ है जो व्यक्तिवाचक संज्ञा हैं।
भाववाचक संज्ञा का जातिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग
जब भाववाचक संज्ञा शब्दों का बहुवचन के रूप में प्रयोग किया जाता है तो वे जातिवाचक संज्ञा बन जाते हैं। जैसे-
(क) जैसे-जैसे गरीबी बढ़ती जा रही है दिन-दहाड़े चोरियाँ होने लगी हैं।
(ख) बुराइयों से सदैव दूर रहिए।
(ग) इस प्रकार की मूर्खताएँ तुम्हें ले डूबेंगी।
(घ) भाषा की भिन्नताओं के बावजूद भारतवासी अभिन्न हैं।
(ङ) आजकल दूरियाँ बढ़ती जा रही हैं।
(च) बादलों की गड़गड़ाहटों से किसानों के हृदय झूम उठे।
इन वाक्यों में आए शब्द-चोरियाँ, बुराइयों, मूर्खताएँ, भिन्नताओं, दूरियाँ और गड़गड़ाहटों जातिवाचक संज्ञा है। ऐ भाववाचक संज्ञाओं चोरी, बुराई, मूर्खता, भिन्नता, दूरी और गड़गड़ाहट से बने हैं।
भाववाचक संज्ञाओं की रचना
(Formation of Abstract Noun)
भाववाचक संज्ञाओं की रचना निम्नलिखित से की जाती है –
- जातिवाचक संज्ञाओं से
- सर्वनाम से
- विशेषण से
- क्रिया से
- अव्यय से।
जातिवाचक संज्ञा से भावाचक संज्ञा बनाना
जातिवाचक संज्ञा | भाववाचक संज्ञा |
बच्चा | बचपन |
इंसान | इंसानियत |
जवान | जवानी |
नारी | नारीत्व |
प्रभु | प्रभुत्व |
शिशु | शिशुत्व |
मित्र | मित्रता |
ठग | ठगी |
स्त्री | स्त्रीत्व |
पशु | पशुत्व |
लड़का | लड़कपन |
शिक्षक | शिक्षा |
सज्जन | सज्जनता |
भाई | भाईचारा |
किशोर | कैशोर्य |
तरुण | तारुण्य |
पंडित | पांडित्य |
राष्ट्र | राष्ट्रीयता |
शत्रु | शत्रुता |
पुरुष | पुरुषत्व |
मानव | मानवता |
बूढ़ा | बुढ़ापा |
सेवक | सेवा |
ईश्वर | ऎश्वर्य |
आदमी | आदमीयता |
देव | देवत्व |
पिता | पितृत्व |
विद्वान् | विद्वता |
अतिथि | आथित्य |
अमर | अमरत्व |
चोर | चोरी |
दास | दासता |
कृषक | कृषि |
कारीगर | कारीगरी |
चिकित्सक | चिकित्सा |
वकील | वकालत |
सूजन | सौजन्य |
भ्राता | भ्रातृत्व |
रंग | रंगत |
नृप | नृपत्व |
गुरु | गौरव |
तपस्वी | तप |
चिकित्सक | चिकित्सा |
डाका | डकैती |
सर्वनाम से भावाचक संज्ञा बनाना
सर्वनाम | भाववाचक संज्ञा |
अपना | अपनत्व |
पराया | परायापन |
मम | ममता |
निज | निजता |
अहम् | अहंकार |
स्व | स्वत्व |
तत | तत्व |
सर्व | सर्वस्व |
आप | आपा |
विशेषण से भावाचक संज्ञा बनाना
विशेषण | भाववाचक संज्ञा |
अरुण | अरुणाई |
अनुचित | अनौचित्य |
ऊँचा | ऊंचाई |
एक | एकता |
कुटिल | कुटिलता , कौटिल्य |
कृपण | कृपणता |
कुशल | कुशलता |
चतुर | चतुरता , चतुराई |
प्यासा | प्यास |
पतिव्रता | पतिव्रत |
पतित | पतन |
बुद्धिमान | बुद्धिमत्ता |
भूखा | भूख |
मलिन | मलिनता |
राष्ट्रीय | राष्ट्रीयता |
शूर | शूरता , शौर्य |
फुर्तीला | फुर्ती |
उदार | उदारता |
उचित | औचित्य |
चेतन | चेतना |
धीर | धीरता |
न्यून | न्यूनता |
पारखी | परख |
शीतल | शीतलता |
आज़ाद | आज़ादी |
सुन्दर | सुंदरता |
विशिष्ट | विशिष्ठ्ता |
सरल | सरलता |
आद्यात्मिक | आध्यात्मिकता |
नागरिक | नागरिकता |
गर्म | गर्मी |
करुण | करुणा |
मधुर | मधुरता |
व्यापक | व्यापकता |
हिंसक | हिंसा |
स्तब्ध | स्तब्धता |
हरा | हरियाली |
अच्छा | अच्छाई |
शांत | शांति |
दक्ष | दक्षता |
खामोश | ख़ामोशी |
आलसी | आलस्य |
महान | महानता |
लघु | लघुता , लाघव |
निपुण | निपुणता |
मंद | मंदी |
प्रवीण | प्रवीणता |
चपल | चपलता |
परतंत्र | परतन्त्रत्रा |
क्रिया से भावाचक संज्ञा बनाना
क्रिया | भाववाचक संज्ञा |
उठना | उठान |
थकना | थकावट |
बसना | बसेरा |
गिरना | गिरावट |
चढ़ना | चढाई |
काटना | कटाई |
लूटना | लूट |
पढ़ना | पढ़ाई |
चुनना | चुनाव |
लड़ना | लड़ाई |
भूलना | भूल |
पहनना | पहनावा |
जीतना | जीत |
धमकाना | धमकी |
रोना | रुलाई |
मांगना | मांग |
खोदना | खुदाई |
हंसना | हंसी |
बौखलाना | बौखलाहट |
लिखना | लिखावट |
हरना | हरण |
घबराना | घबराहट |
बिकना | बिक्री |
मुस्कराना | मुस्कराहट |
झुकना | झुकाव |
पीटना | पिटाई |
भूलना | भूल |
धोना | धुलाई |
सजाना | सजावट |
चलना | चाल |
जागना | जागरण , जागृति |
खेलना | खेल |
दबाना | दबाव |
बनना | बनावट |
उतरना | उतराई |
हारना | हार |
हंसना | हंसी |
जलना | जलन |
करना | करनी , कार्य |
पूजना | पूजा |
सीना | सिलाई |
बोना | बुवाई |
उलझना | उलझन |
मिलाना | मिलावट |
बहना | बहाव |
कहना | कहावत |
पहचानना | पहचान |
बैठना | बैठक |
सड़ना | सड़ांध |
जपना | जाप |
उद्यम | उधमी |
करुणा | करुण, कारुणिक |
क्रिया | क्रियात्मक , सक्रिय |
कुटुंब | कौटुम्बिक |
खेल | खिलाडी |
गणित | गणितज्ञ |
गान | गायक |
अव्यय से भावाचक संज्ञा बनाना
अव्यय | भाववाचक संज्ञा |
खूब | खूबी |
समीप | समीपता |
निकट | निकटता |
बाहर | बाहरी |
शाबास | शाबाशी |
दूर | दुरी |
धिक् | धिक्कार |
ऊपर | ऊपरी |
भीतर | भीतरी |
नीचे | निचाई |
मना | मनाही |