सम्बन्धबोधक

Sambandhbodhak

सम्बन्धबोधक | Sambandhbodhak शब्द मूलतः संज्ञा या सर्वनाम के बाद आकर उनका सम्बन्ध वाक्य के अन्य शब्दों के साथ जोड़ते हैं। सम्बन्धबोधक शब्दों के साथ प्रायः किसी न किसी परसर्ग की जरुरत पड़ती है। जैसे – में , से , के, की आदि।

  1. मीरा के साथ रोहित दिल्ली जायेगा। ( “के ” परसर्ग / साथ – सम्बन्धबोधक शब्द )
  2. उस गली के बाद मेरा घर आएगा । ( “के ” परसर्ग / बाद – सम्बन्धबोधक शब्द )
  3. मैं अपने घर से अलग होकर नहीं जी पाउँगा। ( ” से  ” परसर्ग / अलग  – सम्बन्धबोधक शब्द )
  4. मोहन बाजार की ओर जायेगा। ( ” की  ” परसर्ग / ओर  – सम्बन्धबोधक शब्द )
  5. राजा के सामने तुम कुछ नहीं बोलना। ( ” के ” परसर्ग / सामने  – सम्बन्धबोधक शब्द )

sambandhbodhak

 


Sambandhbodhak

सम्बन्धबोधक के भेद 

सम्बन्धबोधक को हम तीन तरह से विभाजित कर सकते हैं।

  1. प्रयोग के आधार पर
  2. अर्थ के आधार पर
  3. उत्पत्ति के आधार पर

क। प्रयोग के आधार पर सम्बन्धबोधक

प्रयोग के आधार पर अर्थात वाक्य में सम्बन्धबोधक शब्दों के प्रयोग करना ।

ये प्रयोग दो तरह से किये जाते हैं। –

i. संबध सम्बन्धबोधक

संज्ञा या सर्वनाम के शब्दों के बाद जो विभक्तियाँ ( का , के , से आदि ) के पश्चात आने वाले शब्द संबध         सम्बन्धबोधक कहलाते है। जैसे –

  • रोहन  के साथ चमेली भी मेला देखने गई।
  • उस दीवार के पीछे रोहित छिपा है।
  • मीरा घर से दूर रहता है।

इन वाक्यों में प्रयोग किये गए शब्द – साथ, बिना, और दूर संबध सम्बन्धबोधक हैं। ये संज्ञा या सर्वनाम की विभक्तियों “के” और “से ” के बाद आये हैं।

ii. असंबध सम्बन्धबोधक

वे सम्बन्धबोधक शब्द जो संज्ञा के बदले हुए रूपों के बाद आते हैं, वे शब्द असंबध सम्बन्धबोधक कहलाते हैं। जैसे –

  • किसानो तक बीज पहुंचा आओ।
  • किसानो सहित गरीब भी शहर पलायन कर रहे है।

मूल बातें – इन वाक्यों में किसी विभक्ति की जरुरत नहीं होती।


 

ख। अर्थ के आधार पर सम्बन्धबोधक

अर्थ के आधार पर सम्बन्धबोधक के 12 भेद 
संख्या सम्बन्धबोधक प्रयोग में आने वाले शब्द 
1समतावाचकतरह, सामान, सम, सा, बराबर आदि ।
2पृथक्तावाचकदूर, अलग , हटकर आदि ।
3विनिमयवाचकस्थान , जगह, बदले आदि।
4संग्रहवाचकपर्यन्त , मात्र , तक आदि।
5साधनवाचकजरिये, सहारे , द्वारा आदि। 6
6स्थानवाचकऊपर, निचे, आगे, पीछे, यहाँ आदि।
7विरोधवाचकखिलाफ, विपरीत, प्रतिकूल आदि।
8संगवाचकसाथ, समेत, संग आदि।
9तुलनवाचकआगे, सामने, अपेक्षा आदि।
10व्यतिरेकवचकअलावा, बिना, सिवा, बगैर आदि।
11कालवाचकबाद, पूर्व, पहले, आदि।
12हेतुवाचककारण, खातिर, लिए आदि।

 


 

उत्पत्ति के आधार पर सम्बन्धबोधक के भेद –

उत्पत्ति के आधार पर सम्बन्धबोधक के दो भेद होते हैं, जो निम्नलिखित है।

क। मूल सम्बन्धबोधक

वे शब्द जो मूल रूप से सम्बन्धबोधक हो। ये शब्द हिंदी , संस्कृत या किसी अन्य भाषा के हो सकते हैं। जैसे – खातिर, तरफ, बिना , पूर्वक आदि।

ख। योगिक शब्द –

वाक्य में ऐसे भी सम्बन्धबोधक भी प्रयोग में लाये जाते है जो संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, या क्रिया विशेषण आदि शब्दों से बनते हैं। जैसे –

संज्ञा से – संग, जगह आदि ।

विशेषण से – जैसा, ऐसा, समान आदि।

क्रिया से – लेकर, जाने, लिए आदि।

क्रिया विशेषण – आगे , पीछे, इधर, उधर आदि।


 

क्रिया विशेषण और सम्बन्धबोधक में अंतर 

  1. कोई शब्द क्रिया की विशेषता ही बताता है तो वह क्रिया विशेषण है।
  2. पर कोई शब्द क्रिया की विशेषता बताने के साथ – साथ किसी संज्ञा या सर्वनाम के साथ भी सम्बन्ध दिखाए तो वहां सम्बन्धबोधक है।

उदाहरण –

  • सीता सुन्दर लिखती है। ( क्रिया विशेषण )
  • सीता अपनी सहेली से सुन्दर लिखती है। ( सम्बन्धबोधक ) ‘सहेली’ के साथ सम्बन्ध ।

 

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