vakya ke kitne bhed hote hain | वाक्य|वाक्य के भेद | vakya ke bhed | वाक्य | vakya in hindi grammar से सम्बंधित सभी उपयोगी तथ्य आपको इस ब्लॉग में अवश्य ही मिल जायेंगे।
vakya ke kitne bhed hote hain | (vakya ) वाक्य के भेदों को जानने से पहले हमें वाक्य को जानना होगा | वाक्य भाषा की मुख्य इकाई है जिससे किसी भाव को पूर्ण रूप से व्यक्त किया जा सकता है। इस कथन में दो बातें दिखाई देती है।
(१) वाक्य शब्दों की वह इकाई है, जो रचना की दृष्टि से अपने आप में स्वतंत्र है।
(२) वाक्य किसी विचार भाव या मंतव्य को पूर्णतया प्रकट करता है।
इस प्रकार “वाक्य पदों का व्यवस्थित समूह है, जिसमें पूर्ण अर्थ देने की शक्ति है।“ अतः “वाक्य भाषा की लघुतम इकाई है, जो किसी भाव या विचार को पूर्णतया व्यक्त कर शक्ति है।“
vakya in hindi grammar | Vakya bhed
वाक्य में निम्नलिखित बातें होती हैं
- वाक्य की रचना पदों के योग से होती है।
- अपने आप में पूर्ण तथा स्वतंत्र होता है।
- वाक्य किसी ना किसी भाव या विचार को पूर्णता प्रकट कर पाने में सक्षम होता है।
उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति “सफेद जूते” कहता है, तो यह वाक्य नहीं कहा जा सकता क्योंकि यहां किसी ऐसे विचार या संदेश का ज्ञान नहीं होता, जिसे वक्ता बताना चाहता है। जबकि “मुझे सफेद जूते खरीदने हैं।“ यह पूर्ण वाक्य है क्योंकि यहां “सफेद जूतों” के विषय में वक्ता का भाव स्पष्ट रूप से प्रकट हो रहा है।
Table of Contents
Vakya ke kitne bhed hote hain | वाक्य के अंग
संरचना के स्तर पर वाक्य के यह दो प्रमुख अंग माने जाते हैं-
१) उद्देश्य (वार्ता) २) विधेय (क्रिया)
उद्देश्य क्या है ?
उद्देश्य वाक्य का वह अंग होता है, जिसके बारे में कुछ कहा जाता है ।
विधेय क्या है ?
उद्देश्य के विषय में जो कुछ कहा जाता है, वह विधेय कहलाता है, जैसे_
उद्देश्य | विधेय |
मेरा भाई | होशियार है। |
शीला | अध्यापिका है। |
सुरेश ने | पत्र लिखा। |
बच्चे | मैदान में खेल रहे हैं। |
- कभी-कभी वाक्य में उद्देश्य प्रकट (प्रत्यक्ष) रूप में दिखाएं नहीं देता है; जैसे-
उद्देश्य विधेय
(तुम) वहां मत जाओ।
(तुम) यहां आओ।
(आप) खाना खाइए।
इन वाक्यों में उद्देश्य का लोप है। तुम और आप कर्ता के बिना भी यह वाक्य पूर्ण है। इसलिए तुम और आप को कोष्ठक में रखा गया है। अर्थात यह दोनों (तुम और आप) वाक्यों में अप्रकट रूप में निहित है।
- इसी प्रकार कभी-कभी वाक्य में विधेय प्रकट रूप में दिखाई नहीं देता; जैसे- कोई पूछता है- “दिल्ली कौन गया है?” उत्तर मिलता है- “मोहन“
उत्तर वाले वाक्य में पूरा वाक्य बनता है- “मोहन दिल्ली गया है”। किंतु यहां दिल्ली गया है” विधेय का लोप है। यहां विधेय अप्रकट रूप में वाक्य में निहित है।
- हिंदी उद्देश्य और विधेय एक-एक पद के भी हो सकते हैं तथा एक से अधिक पदों के भी हो सकते हैं। उदाहरण के लिए-
उद्देश्य विधेय
- राजीव जाता है।
- मेरा भाई राजीव विद्यालय जाता है।
- मेरा छोटा भाई राजीव प्रतिदिन सुबह विद्यालय जाता है।
इन वाक्यों में वाक्य (२) तथा (३) के उद्देश्य “मोहन” के विस्तार तथा विधेय “विद्यालय जाता है” और “प्रतिदिन सुबह विद्यालय जाता है”
वाक्य (१) के विधेय “ जाता है” के विस्तार हैं।
इस प्रकार वाक्य छोटा हो या बड़ा, उसके दो अंग होते हैं। पहला उद्देश्य तथा दूसरा विधेय।उद्देश्य प्रायः वाक्य के प्रारंभ में आता है तथा विधेय उद्देश्य के बाद आता है। इस प्रकार वाक्य की निम्नलिखित विशेषताएं भी सामने आती हैं।_
- वाक्य भाषा की ऐसी इकाई है जो किसी भाव या विचार को प्रकट करता है।
- वाक्य की रचना पदों या पदबांधो के योग से होती है।
“vakya ke kitne bhed hote hain”
वाक्य के घटक
वाक्य के कितने प्रकार के घटक होते हैं?
वाक्य के घटक दो प्रकार के होते हैं-
- अनिवार्य घटक
- ऐच्छिक घटक
अनिवार्य घटक– कर्ता और क्रिया वाक्य प्रमुख घटक है। एक छोटे से छोटे वाक्य में भी कर्ता और क्रिया दो आवश्यक (प्रमुख) घटक हैं; जैसे उदाहरण के लिए-
१) मोहन सो रहा है।
२) मोहन पत्र लिख रहा है।
इन वाक्यों में पहले वाक्य में ‘सोना’ क्रिया और सोने वाला व्यक्ति “मोहन” की भूमिका अनिवार्य है। इस प्रकार दूसरे वाक्य में ‘ लिखना ‘ क्रिया के साथ लिखने वाले व्यक्ति मोहन तथा लिखी जाने वाली वस्तु “ पत्र ” दोनों की भूमिका अनिवार्य है।
अतः लिखना क्रिया से बने वाक्य में क्रिया के अतिरिक्त कर्ता और कर्म अनिवार्य घटक हैं। इस प्रकार वाक्य में जिन घटकों के न होने से वाक्य अधूरा रहता है और भाव स्पष्ट नहीं होता, वह अनिवार्य घटक कहलाता है।
वाक्य के अनिवार्य घटक घटक होते हैं जिनके बिना अभाव में वाक्य अधूरा होता है, तथा वाक्य का भाव भी स्पष्ट नहीं होता। वाक्य के कर्ता,कर्म और क्रिया अनिवार्य घटक हैं।
ऐच्छिक घटक- वाक्य के अनिवार्य घटकों के अतिरिक्त कुछ ऐसे घटक भी होते हैं, जिनके होने से वाक्य का अर्थ अधिक स्पष्ट हो जाता है, लेकिन इन घटकों के ना होने पर वाक्य व्याकरणिक दृष्टि से अधूरा नहीं माना जाता। ऐसे घटकों को वाक्य के ऐच्छिक घटक कहते हैं क्योंकि इन ऐच्छिक घटकों को वाक्य में रखना या ना रखना वक्ता की इच्छा पर निर्भर करता है; जैसे_
- मोहन सोहन के लिए पुस्तक लाया।
- शीला कल शाम को सुरेश के साथ मुंबई जाएगी।
- मैं रोज 3:00 बजे सोता हूँ ।
- नरेश जोर से हँसता है।
इन वाक्यों में “सोहन के लिए” “कल शाम को सुरेश के साथ” “रोज 3:00 बजे” तथा “जोर से” घटकों का रखना आवश्यक नहीं है। इन घटकों को वाक्य में से हटा देने से भी वाक्यों में कोई भी अधूरापन नहीं रहता। इसलिए यह ऐच्छिक घटक हैं। ऐच्छिक घटक केवल अतिरिक्त सूचना मात्र देते हैं।
“vakya ke kitne bhed hote hain”
वाक्य के प्रकार
हिंदी वाक्यों का विभाजन मुख्य रूप से दो आधारों पर किया जाता है_
- रचना की आधार पर वाक्यों का विभाजन/ प्रकार.
- अर्थ के आधार पर वाक्यों का विभाजन /प्रकार.
रचना के आधार पर हिंदी वाक्यों का विभाजन
रचना के आधार पर हिंदी वाक्य vakya तीन प्रकार के होते १) सरल वाक्य. २) संयुक्त वाक्य. ३) मिश्र वाक्य।
saral vakya | सरल वाक्य
जिस वाक्य में एक ही विधेय होता है, उसे सरल saral वाक्य कहते हैं; जैसे
१) राम आया।
२) मोहन ने खाना खाया।
३) एक लड़का और नौकर पहुँच गए।
४) मोहन सोहन और शीला आ गए हैं।
पहले दो वाक्यों में एक एक उद्देश्य है। तीसरे वाक्य में दो उद्देश्य (लड़का और नौकर) हैं, तथा चौथे वाक्य में तीन उद्देश्य सोहन, मोहन और शीला हैं लेकिन इन चारों वाक्य में विधेय एक एक ही हैं। ये चारों वाक्य सरल वाक्य है। सरल वाक्य में एक-एक विधेय ही होते हैं।
यदि सरल वाक्य में आने वाली क्रिया अकर्मक हैं, तो उसमें कर्म नहीं आ सकता। यदि क्रिया सकर्मक है, तो उसमें कर्म अवश्य आएगा। यदि क्रिया द्विकर्मक हैं, तो उसमें दो कर्म एक ( गौण कर्म तथा एक मुख्य कर्म) अवश्य आएंगे। इनमें गौण कर्म पहले तथा मुख्य कर्म बाद में आता है।
सरल वाक्य में कर्ता, कर्म, पूरक, क्रिया तथा क्रिया विशेषण घटकों या इनमें से कुछ घटकों का योग होता है। स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त होने वाला उपवावय ही सरल वाक्य होता है; जैसे_
- मोहन हंसता है।
- राजेश बीमार है
- पुलिस ने चोर को पकड़ लिया।
- माताजी ने शीला को एक साड़ी दी।
- शीला अपना बड़ा भाई मानती है।
sanyukt vakya | संयुक्त वाक्य
जिस वाक्य में दो या दो से अधिक मुख्य अथवा स्वतंत्र उपवाक्य होते हैं, उसे संयुक्त (sanyukt vakya) वाक्य कहते हैं। संयुक्त वाक्य में मुख्य उपवाक्य अपने पूर्ण अर्थ की अभिव्यक्ति के लिए किसी दूसरे उपवाक्य पर आश्रित नहीं रहते। उपवाक्य होते हुए भी उनमें पूर्ण अर्थ का बोध होता है। इन उप वाक्यों के बीच में समानाधिकरण संबंध होता है।
संयुक्त वाक्य के उपवाक्य “और” तथा, किंतु, लेकिन, फिर, या अथवा, अन्यथा, इसलिए, आदि, समानाधिकरण योजक अव्ययो से जुड़े होते हैं। जैसे-
- अध्यापिका थोड़ी देर के लिए विद्यालय आई फिर वापस चली गई।
- (1)अध्यापिका थोड़ी देर के लिए विद्यालय आई। (2) वापस चली गई।
२) आप रोटी खाएंगे या बिरयानी ।
१) आप रोटी खाएंगे। २) आप बिरयानी खाएंगे ।
३) दौड़ते आओ अन्यथा गाड़ी छूट जाएगी ।
१) दौड़ते आओ । २) गाड़ी छूट जाएगी ।
४) मैं भी आपके साथ चलता हूं किंतु मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं है।
१) मैं भी आपके साथ चलता हूं। २) मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं है।
- संयुक्त वाक्य में दो उप वाक्यों में से एक उपवाक्य के कुछ कभी-कभी लुप्त हो जाते हैं। यह स्थिति तब आती है जब एक ही वाक्य के दो वाक्यों में समान शब्द आता है; जैसे_
(क) सुबह चाय पीते हैं और शाम को कॉफी।
पिताजी सुबह चाय पीते हैं और (पिताजी) शाम को कॉफी (पीते हैं)।
(ख) मोहन कल मुंबई जाएगा तथा राजेश दिल्ली (जाएगा)।
- कभी-कभी संयुक्त वाक्यों में समुच्चय बोधक अव्यय का भी लोप कर दिया जाता है; जैसे_
क) रहने वाले रहेंगे, जाने वाले चले जाएंगे। (और का लोप)
ख) क्या सोचा था, क्या हो गया। (लेकिन का लोप)
ग) काम किया है, पैसे तो मांगूंगा ही। (इसलिए का लोप)
“vakya ke kitne bhed hote hain”
संयुक्त वाक्यों के भेद-उपभेद
संयुक्त वाक्यों के उपभेद ‘इस आधार पर किए जाते हैं कि उनके उपवाक्य आपस में किन संबंधों के आधार पर जुड़े हैं। सामान्य रूप से उपवावयों के ये पारंपरिक संबंध–चार प्रकार के होते हैं-)
- संयोजक संबंध
- विरोध वाची संबंध
- विभाजक संबंध
- परिणाम वाची संबंध ।
इन्हीं संबंधों के आधार पर संयुक्त वाक्य चार प्रकार हो हो जाते हैं-
- योजक संयुक्त वाक्य
- विभाजक संयुक्त वाक्य
- विरोधवाचक संयुक्त वाक्य
- परिणाम वाचक संयुक्त वाक्य
- योजक संयुक्त वाक्य : जिन संयुक्त् में उपवाक्य दो कार्य व्यापारों या स्थितियों को जोड़ने का काम करते हैं, वे योजक संयुक्त वाक्य कहलाते हैं, जैसे – 1.मैं दिल्ली गया था और मेरा भाई गाजियाबाद। 2. यहाँ मैं बैढूँगा तथा उधर दूसरे लोग बैठेंगे । 3. तुम्हारे लिए फूल लाये हैं और मेरे लिए सिर्फ कपड़े।
- विभाजक संयुक्त वाक्य : जिन संयुक्त वाक्यों में आए उपवाक्यों से दो स्थितियों या कार्य व्यापारों के बीच विकल्प दिखाया जाता था, एक स्थिति को स्वीकार किया जाए तथा दूसरी को त्यागाजाए, वे विभाजक संयुक्त वाक्य कहलाते हैं। इन वाक्यों में या, अथवा, या-या आदि समुच्चय बोधक अव्ययों का प्रयोग होता है, जैसे-
- आप वहाँ पहुँच जाएंगे या मैं आपको फोन करूँ
- ठीक तरह से काम करो अथवा नौकरी छोड़ दो।
- मैं न आपको जानता हूँ न आपके पिताजी को |
- न तो मोहन ही आया न अपने भाई को भेजा।
- या तो आप मेरे साथ रहेंगे या आपका मित्र ।
3. विरोध वाचक संयुक्त वाक्य : संयुक्त याक्य में जब उपवाक्यों में विरोध या विरोधाभास का बोध हो, तो ऐसे संयुक्त वाक्य विरोध वाचक संयुक्त वाक्य कहलाते हैं। इन वाक्यों में उपवाक्य प्रायः मगर, पर, परंतु, लेकिन, बल्कि आदि अव्ययों से जुड़े रहते हैं, जैसे- 1. वह खेलने में तो बहुत अच्छा है लेकिन पढ़ाई लिखाई नहीं करता। 2.मैंने उसे बहुत समझाया पर वह नहीं माना | 3. हम जाना नहीं चाहते थे परंतु पिताजी नहीं माने। 4.मैं भी आपके साथ चलता किंतु मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं है।
4.परिणाम वाचक संयुक्त वाक्य : जब संयुक्त वाक्य में एक उपवाक्य से कार्य का तथा दूसरे उपवाक्य से उसके परिणाम का बोध होता है, वे परिणाम वाचक संयुक्त वाक्य कहलाते हैं। इन वाक्यों के उपवाक्य प्रायः इसलिए, अत:, सो आदि अव्ययों से जुड़े रहते हैं, 1. आज बाजार बंद है इसलिए कुछ नहीं मिलेगा । 2. वह बहुत बीमार था अतः पठे बैठा रहा। 3.जासूस को अपराधियों का भेद लेना था इसलिए वह उनके पास ठहर गया। 4. यह आना नहीं चाहती थी सो झूठ बोलकर चली गई।
“vakya ke kitne bhed hote hain”
Mishra vakya | मिश्र वाक्य
यह वाक्य जिसमें एक प्रधान / मुख्य उपवाक्य तथ एक या एक से अधिक आश्रित उपवावन्य छें, तो वह मिश्र वाक्य (mishra vakya) कहलाता है । मिश्र वाक्य में एक उपवाक्य प्रधान उपवावन्य था स्वतंत्र उपवाक्य होता है तथा एक या एक से अधिक उपवाक्य गौण उपवाक्य/आश्रित उपवाक्य होते हैं । गौण उपवाक्य या आश्रित उपवाक्य अपने पूर्वा अर्थ की अभिव्यक्ति के लिए प्रधान उपवाक्य या ‘मुख्य उपलब्ध पर आश्रित रहता है।
मिश्र बाक्य के उपवाक्य प्रायः कि, जैसो–वैसा, जो वह जब–तब, यदि–तो, क्योंकि आदि समुच्चय बोधक अव्ययों से जुड़े होते हैं; जैसे-
(1) मोहन ने पूछा कि तुम कहाँ गए थे।
(2) हम जानते हैं कि वे आज नहीं आएंगे जबकि उनकी बहुत आवश्यकता है।
- इन दोनों मिश्र वाक्यों में दो या दो से अधिक उपवाक्य हैं। ‘मोहन ने पूछा ‘ प्रधान उपवाक्य है और ‘तुम कहाँ गए थे‘ आश्रित उपवाक्य है क्योंकि दूसरा उपवान्ध मुख्य उपवावन्य पर आश्रित है।
- ‘हम जानते हैं’ प्रधान उपवाक्य है तथा उसके बाद के दोनों उपवाक्य आश्रित उपवाक्य हैं। इन्हें आश्रित उपवाक्य इसलिए कहते हैं कि ये उपवाक्य प्रधान उपवाक्य की जरुरत पूरी करते हैं।
अन्य उदाहरण-
- अध्यापक ने बताया कि कल विद्यालय में छुट्टी होगी ।
- जो लड़का कमरे में बैठा है, वह मेरा भई है।
- मैने वही मकान खरीदा है, जहाँ आप रहते थे।
मिश्र वाक्य में आश्रित उपवावन्य बावन्य के आरंभ, मध्य या अंत में तीनों स्थानों पर आ सकता है, जैसे –
- जो लड़का यहाँ बहुत बीमार है। (आरंभ में)
- वह लड़का जो कल यहाँ आया था, बहुत बीमार है। (मध्य में)
- वह लड़का बहुत बोगार है, जो कल यहाँ आया था। (वाक्य के अंत में)
“vakya ke kitne bhed hote hain | vakya kitne prakar ke hote hain “
अर्थ के आधार पर हिंदी वाक्यों का विभाजन
अर्थ के आधार पर हिंदी वाक्य आठ प्रकार के होते हैं–
(1) विधान वाचक वाक्य
(2)निषेध वाचक या नकारात्मक वाक्य
(3) आज्ञार्थक या आज्ञावाचक वाक्य
(4) प्रश्न वाचक वाक्य
(5) इच्छा वाचक वाक्य
(6) संदेह वाचक वाक्य
(7) विस्मयादिबोधक वाक्य
(8) शर्तवाचक वाक्य
विधान वाचक वाक्य
विधान वाचक वाक्य में किसी बात या कार्य के होने या करने का बोध होता है। विधान वाचक वाक्य को कथनात्मक वाक्य (Vakya)भी कहते हैं,जैसे-
- वह आया।
- ठंडी ठंडी हवा चल रही है।
- आकाश में तारे दिमटिमा रहे हैं।
- उसकी पत्नी बहुत बीमार थी ।
- शीला अध्यापिका है।
निषेध वाचक या नकारात्मक वाक्य
निषेध वाचक या नकारात्म वाक्यों में किसी बात या कार्य के न होने मान करने का भाव प्रकट होता है। इन्हें निषेधात्मक वाक्य भी कहा जाता है। सामान्य रूप में हिंदी में सकारात्मक वाक्यों में नहीं, न तथा मत लगाकर नकारात्मक वाक्य (Vakya) बनाए जाते हैं, जैसे–
- वह नहीं आया।
- एक इस समय वर्षा नहीं हो रही है।
- मैं कुछ नहीं कर सका।
- बाजार नहीं गए।
- आप यहाँ न बैठें।
- घूमने मत जाओ |
- आप बाहर न जाएँ।
आज्ञा वाचक या आज्ञार्थक वाक्य
आज्ञावाचक वाक्य में कितनी या कार्य के लिए आज्ञा, प्रार्थना या उपदेश का भाव रहता है, जैसे-
- यहाँ से चले जाओ |
- अभी मत जाओ।
- कृपया यहाँ बैठिए.
- मोहन को बुलाओ।
- यहाँ सोर मत करो |
- यह खाने में डाल देना।
प्रश्न वाचक वाक्य
प्रश्न वाचक वाक्य (Vakya) में कोई प्रश्न पूछा जाता है, जैसे–
- क्या आप कल मेरे घर आये थे ?
- क्या वह दिल्ली जा रही है ?
- वह क्या कर रहा है ?
प्रश्नवाचक वाक्य भी क्या प्रश्न सूचक शब्द से प्रारंभ होने वाले तथा “दूसरे क्या, कब, क्यों, कहाँ, किसे आदि प्रश्न वाचक शब्द मध्य में आने वाले वाक्य हो सकते हैं जैसे –
- क्या तुम्हारा विद्यालय आज बंद है?
- तुम क्या कर रहे हो ?
- तुम कहाँ रहते हो ?
- तुम अपने घर कब जाओगे? आदि।
विस्मयादिबोधक या विस्मय वाचक वाक्य
विस्मयादि बोधक वाक्य (Vakya) में विस्मय (आरचर्य), हर्ष (प्रसन्नता), शोक दुख), घृणा आदि का बोध होता है, जैसे-
- कैसा सुंदर दृश्य है!
- कितनी गंदी जगह है।
- हाय! मैं लुट गया।
- अच्छा ! आप आ गए|
- धत् ! सब बर्बाद कर दिया।
इच्छावाचक या इच्छार्थक वाक्य
इच्छा वाचक वाक्यों में इच्छा, शुभकामना अथवा अभिशाप का भाव प्रकट होता है। इन वाक्यों में वक्ता अपने लिए अथवा दूसरों के लिए किसी–न–किसी इच्छा के भाव को प्रकट करता जैसे –
- तुम्हारा कल्याण हो |
- आपकी यात्रा शुभ हो।
- ईश्वर करे , तुम परीक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हो जाओ।
- आज मुझे कहीं से पैसे मिल जाएँ।
- मैं माला–माल हो आऊँ।
संदेह वाचक वाक्य
संदेहवाचक वाक्यों में संदेह या संभावना का का बोध होता है। इनमें वक्ता प्रायः संदेह की भावना को व्यक्त करता जैसे–
- शायद आज बारिश हो ।
- तुमने सुना होगा।
- हो सकता है आज धूप न निकले।
शर्तवाचक वाक्य
इन वाक्यों में किसी–न–किसी शर्त की पूर्ति का विधान किया जाता है। इनमें किसी बात या कार्य का होना था न होना किसी दूसरी बात या कार्य के होने या न होने पर निर्भर करता है, जैसे –
- यदि वर्षा न होती, तो अकाल पड़ जाता।
- यदि आप चलते, तो मैं भी साथ–चलता।
- अगर आप आजाते, तो मेरा काम बन जाता।
- अगर तुम मेहनत करते, तो अवश्य उत्तीर्ण हो जाते ।
वाक्यरूपांतरण
एक प्रकार की वाक्य संरचना को दूसरी वाक्य (Vakya) संरचना में बदलना वाक्य रूपांतरण कहलाता है। उदाहरण के लिए किसी सरल वाक्य को संयुक्त वाक्य अथवा मिश्र वाक्य में या इसके विपरीत किसी संयुक्त अथवा मिश्र याक्य को सरल वाकया में बदला जाना वाक्य रूपांतरण कहलाता है। , जैसे –
—
१। गाड़ी स्टेशन पर पाँच मिनट रुक कर चली गई। सरल वाक्य
गाड़ी स्टेशन पर पाँच मिनट रुकी और चली गई । संयुक्त वाक्य
२। झूठ बोलने वाले बच्चों को कोई प्यार नहीं करता । ( सरल वाक्य )
जो बच्चे झूठ बोलते हैं, उन्हें कोई प्यार नहीं करता। ( मिस्र वाक्य )
क्या बच्चा दूध पी रहा है? ( प्रश्न वाचक)
बच्चा दूध नहीं पी रहा है। (नकारात्मक वाक्य)
“vakya ke kitne bhed hote hain”
वाक्य रूपांतरण दोनों ही प्रकार के वाक्य का संभव है। इसी आधार पर वाक्य रूपांतरण के दो भेद हो जाते हैं -1) संरचना की दृष्टि से वाक्य रूपांतरण (2) अर्थ की दृष्टि से वाक्य रूपांतरण।
संरचना की दृष्टि से वाक्य रूपांतरण
सरल वाक्य को संयुक्त अथवा मिश्र वाक्य में बदलना या संयुक्त वाक्य को मिस्र अथवा सरल वाक्य में या मिश्र वाक्य को संयुक्त अथवा सरल वाक्य में बदलना संरचना की दृष्टि से वाक्य रूपांतरण या रचनातरण है, जैसे –
- उसने घर आकर खाना खाया । (सरल वाक्य) – वह घर आया और उसने खाना खाया। (संयुक्त)
- हम लोग रहलने के लिए बगीचे में गए थे। ( सरल वाक्य)- हम लोगों को टहलना था इसलिए बगीचे में गए। (संयुक्त ) — हम लोग बगीचे में गए क्योंकि हम लोगों को रहलना था। ( मिश्र वाक्य)
- मैं एक ऐसे डाक्टर से मिला, जो बहुत होशियार है । ( मिश्र वाक्य)— मैं एक बहुत होशियार डाक्टर से मिला। (सरल वाक्य)
- मैं एक डाक्टर से मिला और बहुत होशियार है। (संयुक्त)
- नौकर ने थैला उठाया और घर की ओर चला गया। संयुक्त वाक्य)
- नौकर थैला उठाकर घर की ओर चला गया। ( सरल वाक्य ) -जब नौकर थैला उठाया तब वह घर की ओर चला गया। (मिश्र वाक्य)
Easy Hindi grammar (सम्पूर्ण व्याकरण) – पढ़े
vakya ke kitne bhed hote hain | Vakya
अर्थ की दृष्टि से वाक्य रूपवरण
अर्थ की दृष्टि से हिंदी वाक्य रूपांतरण – “आठ प्रकार के होते हैं।
१। विधान वाचक वाक्य
२। निषेध वाचक वाक्य
३। प्रश्नवाचक वाक्य
४। आज्ञार्थक या आज्ञा याचक वाक्य
५। इच्छा वाचक वाक्य
६। संदेह वाचक वाक्य |
७। विसमय वाचक वाक्य
८। शर्त वाचक वाक्य |
इन वाक्यों के बीच आपस में रूपांतरण अर्थ की दृष्टि से वाक्य रूपांतरण कहलाता है, जैसे
- बच्चा दूध पीता है। (विधान वाचक वाक्य)
- बच्चा दूध नहीं पीता ( निषेध वाचक वाक्य)
- क्या बच्चा दूध पीता है ? ( प्रश्न वाचक वाक्य)
वैसे तो किसी भी वाक्य को किसी भी प्रकार के वाक्य में रूपांतरित किया जा सकता है, लेकिन सामान्यतः विधान वाचक ( कथन वाचक ) वाक्य को आधार वाक्य मन जाता है और उन्ही विधान वाचक वाक्यों का अन्य प्रकार के वाक्यों में रूपांतरित किया जा सकता है। जैसे –
- लड़की विद्यालय आती है। (विधानवाचक वाक्य)
- लड़की विद्यालय नहीं जाती। निषेधवाचक )
- क्या लड़की विद्यालय जाती है ? ( प्रश्न वाचक)
- लड़की, विद्यालय जाओ। (आज्ञार्थक)
- क्या लड़की विद्यालय आती होगी । ( संदेह वाचक वाक्य )
- अरे! लड़की विद्यालय जाती है। (विस्मय वाचक)
- मैं चाहता हूँ कि लड़की विद्यालय जाए ( इच्छा वाचक)
- यदि लड़की विद्यालय जाती, तो ( शर्तवाचक)
इसी प्रकार विभिन्न प्रकार के वाक्यों को विधान वाचक वाक्यों मेंबदला जा सकता है, जैसे-
निषेध वाचक वाक्य से विधान वाचक वाक्य
- रमेश आज विद्द्यालय नहीं गया।( निषेध वाचक)
- – रमेश आज विद्यालय गया है। ( विधान वाचक)
निषेध वाचक वाक्य से प्रश्न वाचक वाक्य बनाना
- सुरेश ने यह किताब नहीं पढ़ी है। (निषेध वाचक)
- क्या सुरेश ने किताब पढ़ी है? (प्रश्न वाधक ) अथवा
- क्या सुरेश ने यह किताब नहीं पढ़ी है ? (प्रश्न वाचक)
विधान वाचक से विस्मयादि बोधक वाक्य
- यह बहुत सुंदर दृश्य है । ( विधान वाचक वाक्य)
- वाह! कितना सुंदर दृश्य है । ( विस्मयादिबोधक)
-इसी प्रकार विभिन्न प्रकार के वाक्यों का परस्पर रूपांतरण करते समय निम्नलिखित बातें ध्यान रखनी चाहिए –
प्रश्न वाचक वाक्यों में रूपांतरण करते समय प्रश्न बनाने वाले शब्दों क्या, कब, कहाँ, कैसे, क्यों, किचर, किसलिए, किसे आदि का यथास्थान प्रयोग करना चाहिए तथा वाक्य के अंत में प्रश्न सूचक चिह्न लगाना चाहिए;
जैसे- वे पत्र लिख रहे हैं। –
- क्या हो पत्र लिख रहे हैं ?
- वे क्या लिख रहे हैं?
- वे पत्र क्यों लिख रहे हैं?
- वे पत्र किसे लिख रहे हैं?
निषेध बाचक वाक्यों में रूपांतरण करते समय प्राय: नहीं, न और मत में से किसी एक निषेध वाचक शब्द का प्रयोग किया जाता है। नहीं का प्रयोग तो हिंदी में सामान्य रूप से सभी स्थितियों में हो सकता है। परंतु मत का प्रयोग प्रायः आज्ञार्यक या आज्ञा वाचक वाक्यों में तथा ‘न ” का प्रयोग यदि, अगर, से प्रारंभ होने वाले वाक्यों या इच्छा वाचक वाक्यों में किया जाता है, जैसे-
- बच्चा दूध पीता है। →बच्चा नहीं पिता ।
- बच्चे दूध मत पियो ।
- यदि बच्चा दूध न पिये।
इच्छा वाचक वाक्यों तथा शर्त वाचक वाक्य – रूपांतरण करते समय दोनों प्रकार के वाक्यों में अंतर करने के लिए– मेरी इच्छा है कि, मैं चाहता हूँ कि, ”वे चाहते हैं कि आदि को इच्छा वाचक वावन्य के प्रारंभ में लिखा होना चाहिए ; जैसे-
- छात्र निर्बंध लिख रहा है।
- मैं चाहता हूँ कि छात्र कहानी लिखे।
- मेरी इच्छा है कि छात्र निबंध लिखे।
इसी प्रकार संदेह वाचक वाक्यों में रूपवरण करते ‘समय‘ शायद का प्रयोग वाक्य के प्रारंभ में कोठक में करते हैं, जैसे– बच्चा सो रहा है। शायद बच्चा सोरहा हो होगा।
विस्मय वाचक वाक्यों में रूपांतरण करते समय पहले विस्मयादि बोधक शब्दों का प्रयोग करना चाहिए; जैसे-
बारिश हो रही है। →
- अरे ! बारिश हो रही है।
- आहे ! बारिश हो रही है।
- क्या ! बारिश हो रही है। आदि।
अन्य रूपांतरण
वाक्यों के इन उक्त रूपांतरणों के अलावा “सरल ताक्यों का प्रेरणार्थक वाक्यों में या प्रेरणार्थक वाक्यों का सरल वाक्यों में भी रूपांतरण किया जा सकता है। इसी प्रकार वाच्य की दृष्टि से भी कई वाच्य के वाक्यों का अकर्तृवाच्य तथा अवार्तवाच्य के वाक्यों को करे कर्तृवाच्य के वाक्यों मै भी रूपांतरित किया जा सकता है, जैसे-
(1) बच्चा दूध पीता है। (सरल वाक्य)
- माँ बच्चे को दूध पिलाती है। (प्रथम प्रेरणार्थक)
- माँ नौकरानी से बच्चे को दूध पिलवाती है। ( द्वितीय प्रेरणार्थ)
- बच्चा चिट्ठिया उड़ाता है। (प्रथम प्रेरणार्थक)
(2) छात्र निबंध लिख रहे हैं। (सरल वाक्य )
- अध्यापक छात्रों से निबंध लिखवा रहा है।( प्रेरणार्थक)
- बच्चे पतंग उड़ा रहे हैं। (कर्तृ वाच्य )
- बच्चे के द्वारा पतंग उड़ाई जा रही है। ( कर्म वाच्य )
(3) मैं चल नहीं सका । (कर्तृ वाच्य )
- मुझसे चला नहीं गया । ( भाव वाच्य)
4 thoughts on “vakya ke kitne bhed hote hain”