Nipat shabd kise kahte hain 

आपके मन में निपात को लेकर विभिन्न प्रश्न होंगे कि nipat shabd kise kahte hain। इस अंश में हम निपात के हर पहलू पर प्रकाश डालेंगे जिससे निपात के विषय में जानने को कुछ शेष न रहे।  व्याकरण की दृस्टि से Nipat निपात उन शब्दों को कहते हैं जो वाक्य में किसी शब्दों के बाद लगकर एक उस शब्द को विशेष बल प्रदान करते है।

ये निपात अव्यय ही होते है। इन निपातों को अवधारणा मूलक शब्द की संज्ञा भी दी जाती है। जैसे –

  1. आज खेल में भारत ही जीतेगा।
  2. रोहित भी मेरे साथ मनाली जाएगा।
  3. सवेरा होने तक कोई बाहर नहीं जायेगा।
  4. सोहन मात्र दो रूपए के लिए लड़ पड़ा ।
  5. राम जी कल ही लंका जायेंगे।

उपर्युक्त वाक्यों में आये अव्यय – ही , भी, तक, मात्र,   —- निपात  है ।

nipat

सम्पूर्ण वाक्य का परिचयपढ़ें


nipat shabd kise kahte hain

NIPAT KE KITNE BHED HOTE HAIN ?

निपात के कितने भेद होते है? 

निपात के मूलतः नौ भेद होते है। जो निम्नलिखित है।

१। तुलनात्मक निपात – ( सा )

यह निपात वाक्यों में उन स्थानों में प्रयोग में लाये जाते है जहाँ किसी से तुलना करने का बोध कराया जाता है। जैसे –

  • तुम सा दुनिया में कोई नहीं।
  • बीरबल सा बुद्धिमान कोई दरबार में नहीं था।
  • पुस्तक सा कोई सच्चा साथी नहीं होता।
  • हर महिला को मनु सा बनना चाहिए।
  • तुम सा धोकेबाज पुरे संसार में नहीं है।

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२। प्रश्नवाचक निपात – (क्या )

ये निपात, वाक्यों को प्रश्न वाचक बना देते है। जैसे-

  • रोहन और सोहन क्या साथ में रहेंगे?
  • अब तो देश की हालत ऐसी है कि कहा क्या जाये ?
  • ये तो अपने माता – पिता तक को धोका देते है, मेरी तो बात ही क्या ?
  • हम सब के बारे में तुम क्या कुछ जानती हो ?
  • इन मुश्किल हालातों में रोटी क्या, पानी तक नसीब नहीं हो रहा है?

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३। सम्मानवाचक निपात – ( जी )

ये निपात मूलतः संज्ञा शब्दों को सम्मान देने का बोध करते है। जैसे –

  • मैंने तो बचपन से दादा जी को मेहनत करते देखा है ।
  • गुरु जी की आज्ञा का पालन करना चाहिए।
  • मेरे स्कुल में आज महंत जी आये थे।
  • आज पूरा गांव मंत्री जी को देखने गया है।
  • माँ जी की बात तुम क्यों नहीं सुनते ?

 

४। विस्मयवाचक निपात – ( क्या )

ये निपात वाक्यों में विस्मय होने का बोध करते है। जैसे –

  • क्या ! रोहित दुनिया में नहीं रहा ।
  • क्या ! रीता बीमार है ।
  • क्या ! तुम कक्षा में अव्वल आ गए ।
  • क्या ! शांति घर पर नहीं है ।
  • क्या ! मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा ।

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५। निषेदात्मक निपात -( मत )

इस निपात का प्रयोग निषेद करने हेतु किया जाता है। जैसे –

  • तुम वहां कभी मत जाना ।
  • गांव की चौपाल में मत जाया करो।
  • किसी को बुरा मत बोलो।
  • रोहित बारिश में मत भीगो वरना बीमार पड़ जाओगे।
  • कितना भी जंगल डरावना हो तुम डरना मत

 

६। स्वीकारवाचक निपात – ( जी हाँ, हाँ, जी )

इन निपातों का प्रयोग वाक्यों में स्वीकारात्मक बोध करने हेतु किया जाता है। जैसे –

  • जी, मैं अभी आया।
  • हाँ, मैं भी जरूर जीतूंगा।
  • हाँ जी, रोहित ने तो इतने ही रूपए मुझे दिए थे।
  • जी हाँ , मैं भी दिल्ली गया था।
  • हाँ , मुझे भी सच बोलने वाले लोग पसंद है।

 

७। अवधारणवाचक निपात – (ठीक , लगभग, करीब )

  • मैं तो अपने घर के करीब आ गया ।
  • मेरे देश के का लगभग सभी अच्छे हैं।
  • जितना तुमने कहा लगभग मुझे ठीक ही लगा ।
  • हमें अपने गुरु के करीब रहना चाहिए।
  • ट्रैन आते – आते  लगभग दोपहर हो जाएगी।

 

८। नकारात्मक निपात – ( नहीं )

इन निपातों का प्रयोग नकारात्मकता बोध करने के लिए ही होता है। जैसे –

  • मुझसे तो और तुम्हारी हालत देखी नहीं जाती ।
  • आज ट्रैन नहीं आएगी।
  • मैं जानता हूँ कि आज बाजार बंद नहीं है।
  • सफलता हर बार नहीं मिलती।
  • मैं अधिक घूमना – फिरना पसंद नहीं करता।

 

९। बलवाचक निपात – ( तक, भी, पर, मात्र, तो आदि )

ये निपात तो मूल रूप से सबसे अधिक प्रयोग में लाये जाते हैं। ये एक वाक्य को विशेष बल व् अर्थ प्रदान करते है। जैसे –

  • हमारी फ़ौज आखरी साँस तक लड़ती रहेगी।
  • तुम मुझ पर भी शक कर रहे हो।
  • तुमने मुझे पुकारा तो मैं जरूर तुमसे मिलने आऊंगा।
  • मेरा सारा ध्यान तुम पर है।
  • आज खाने को मात्र रोटी मिली ।

 

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