Pad parichay | पद परिचय |CBSE pad parichay | pad parichay in hindi | pad parichay in Hindi class 10
Pad parichay “पद परिचय” को समझने से पहले हमें सबसे पहले पद को समझना होगा। व्याकरण की दृस्टि से पद का निर्माण शब्द से होता है। अगर हम इसे आसानी से समझे तो “शब्द” उसे कहते है जो अक्षरों के सठिक मेल से बने होते हैं। इन शब्दों को हम कोष में देखते हैं। पर जब हम इन्ही शब्दों को वाक्य में प्रयोग कर लेते हैं तब यही शब्द ” पद ” कहलाते हैं। ये पद व्याकरणिक नियमो में बंधे होते हैं। जैसे –
- राम , घर —— शब्द है।
- राम घर जाता है। —– (राम) और (घर ),अब पद कहलायेंगे । क्योकि ये वाक्य में प्रयोग कर लिए गए हैं।
व्याकरणिक दृस्टि से ये पद संज्ञा , सर्वनाम , विशेषण, क्रिया, क्रिया विशेषण , संबंध्बोधक , समुच्यबोधक , विस्मयादिबोधक आदि होते हैं। जब हम इन्ही पदों का परिचय प्राप्त करते हैं , तब इसे ही Pad parichay ” पद परिचय ” कहते हैं।
Pad parichay | पद परिचय
Table of Contents
पद के भेद
व्याकरणिक दृस्टि से हम पदों को मुख्य रूप से दो भागो में देख सकते हैं।
पहला – विकारी शब्द
- संज्ञा
- सर्वनाम
- विशेषण
- क्रिया
दूसरा – अविकारी शब्द
- क्रिया विशेषण
- संबंध्बोधक
- विस्मयादिबोधक
- समुच्चयबोधक
- निपात
Pad parichay | पद परिचय
संज्ञा पद परिचय
संज्ञा पद का परिचय देने से पहले हमें मूल – मूल बातों को ध्यान में रखना होगा अर्थात संज्ञा के सम्पूर्ण स्वरुप से भली भांति परिचित होना होगा।
संज्ञा क्या है ?
किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान के नाम तथा भाव या दशा को संज्ञा कहते हैं। जैसे – हिमालय, राजू, सर्दी , गाय आदि ।
संज्ञा के कितने भेद हैं ?
संज्ञा के मुख्यतः तीन भेद हैं।
- व्यक्तिवाचक संज्ञा
- जातिवाचक संज्ञा
- भाववाचक संज्ञा
पर ये भी याद रखें कि अंग्रेजी के आधार पर संज्ञा के और दो भेद होते हैं
- समुदायवाचक संज्ञा – जैसे – सेना , पुलिस , कक्षा आदि ।
- द्रववाचक संज्ञा – जैसे – सोना , लोहा , लकड़ी आदि ।
संज्ञा पद के परिचय देने के लिए आवश्यक बातें –
- संज्ञा भेद – व्यक्तिवाचक , जातिवाचक , भाववाचक ।
- लिंग – स्त्रीलिंग , पुल्लिंग ।
- वचन – एकवचन , बहुवचन ।
- कारक – कर्ता, कर्म , करण, सम्प्रदान, अपादान, सम्बन्ध, अधिकरण , सम्बोधन ।
- सम्बन्ध – पद का क्रिया और अन्य पदों के साथ सम्बन्ध ।
उदाहरण –
- सीता रो रही है।
सीता – संज्ञा , व्यक्तिवाचक संज्ञा ,स्त्रीलिंग, एकवचन , कर्ता कारक , “रो रही है” क्रिया की कर्ता ।
Pad parichay | पद परिचय| sarvanam pad parichay
सर्वनाम पद परिचय
सर्वनाम क्या है ?
संज्ञा के बदले प्रयुक्त होने वाले शब्द सर्वनाम कहलाते हैं। जैसे – वह , आप, तुम , तू, हमने, आदि ।
सर्वनाम के कितने भेद हैं ?
सर्वनाम के 6 भेद हैं –
- पुरुषवाचक सर्वनाम
- निश्चयवाचक सर्वनाम
- अनिश्चयवाचक सर्वनाम
- सम्बन्धवाचक सर्वनाम
- प्रश्नवाचक सर्वनाम
- निजवाचक सर्वनाम
सर्वनाम पद का परिचय करने के लिए आवश्यक बातें –
- सर्वनाम भेद
- लिंग – स्त्रीलिंग , पुल्लिंग ।
- वचन – एकवचन , बहुवचन ।
- कारक – कर्ता, कर्म , करण, सम्प्रदान, अपादान, सम्बन्ध, अधिकरण , सम्बोधन ।
- सम्बन्ध – सर्वनाम पद का क्रिया और अन्य पदों के साथ सम्बन्ध ।
उदाहरण –
- मैं खेलकर घर जाऊंगा ।
मैं – सर्वनाम , उत्त्तम पुरुष सर्वनाम , पुल्लिंग , एकवचन , कर्ता कारक , ” जाऊंगा ” क्रिया का कर्ता ।
Pad parichay | पद परिचय| Visheshan pad parichay
विशेषण पद परिचय
विशेषण क्या है ?
वे शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम शब्द की विशेषता बताता है अर्थात उनके गुण, दोष, मात्रा या संख्या बताते हैं उन शब्दों को विशेषण कहते हैं । जैसे – काला, दो मीटर , सुन्दर , कुरूप , आदि।
विशेषण के कितने भेद होते हैं ?
विशेषण के मुख्यतः चार भेद होते हैं –
- गुणवाचक विशेषण – जैसे – काला , पीला , नुकीला, हल्का , भारी आदि।
- परिमाणवाचक विशेषण – जैसे – दस आम , तीन मीटर, कुछ, बहुत आदि ।
- संख्यावाचक विशेषण – जैसे – तीन , कुछ लड़के , तीन आदमी आदि।
- सार्वनामिक विशेषण – जैसे – वह, जिसका , उसका आदि ।
विशेषण पद का परिचय करने के लिए आवश्यक बातें –
- विशेषण के भेद – गुणवाचक विशेषण, परिमाणवाचक विशेषण, संख्यावाचक विशेषण, सार्वनामिक विशेषण
- लिंग – स्त्रीलिंग , पुल्लिंग ।
- वचन – एकवचन , बहुवचन ।
- विशेष्य या संज्ञा पद के साथ सम्बन्ध
उदाहरण –
- रीमा लाल गुलाब लायी है ।
लाल – विशेषण , गुणवाचक विशेषण , पुल्लिंग , एकवचन , गुलाब संज्ञा की विशेषता।
Pad parichay | पद परिचय | kriya pad parichay
क्रिया पद परिचय
क्रिया क्या है ?
वे शब्द क्रिया कहलाते हैं जिनसे हमें किसी कार्य का होना या करना पाया जाये । जैसे – खाना, दौड़ना, सोना, बोलना आदि ।
क्रिया के कितने भेद होते हैं ?
१। कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद होते हैं ।
- सकर्मक क्रिया – जिसमे कर्ता और कर्म दोनों का प्रयोग हो – जैसे – राजू आम खाता है ।
- अकर्मक क्रिया – जिसमे कर्म का प्रयोग नहीं हुआ हो – जैसे – मंजू खेलती है ।
क्रिया पद का परिचय करने के लिए आवश्यक बातें –
- क्रिया भेद – सकर्मक , अकर्मक
- लिंग – स्त्रीलिंग , पुल्लिंग ।
- काल – भूत, वर्त्तमान , भविष्य
- वचन – एकवचन , बहुवचन ।
- वाच्य – कर्तृ, कर्म , भाव वाच्य
- सम्बन्ध – वाक्य का पदों के साथ सम्बन्ध ।
उदाहरण –
- लडकिया खेल रही थी ।
खेल रही थी – क्रिया , अकर्मक क्रिया , पूर्ण भूतकाल , स्त्रीलिंग , बहुवचन , कर्तृ वाच्य , “लड़कियां” कर्ता की क्रिया ।
Pad parichay | पद परिचय | kriya-visheshan pad parichay
क्रिया – विशेषण पद परिचय
क्रिया विशेषण क्या है ?
जो शब्द क्रिया की विशेषता बताते हैं उन शब्दों को क्रिया विशेषण कहते हैं। जैसे – धीरे -धीरे , तेज , मत आदि ।
क्रिया – विशेषण के कितने भेद होते हैं ?
क्रिया- विशेषण के मुख्यतः चार भेद होते हैं ।
- रीतिवाचक क्रिया विशेषण – जैसे – अचानक , धीरे- धीरे, अवश्य आदि ।
- कालवाचक क्रिया विशेषण – जैसे – लगातार , प्रतिदिन , प्रतिमाह , सदैव आदि।
- स्थान वाचक क्रियाविशेषण – जैसे – आगे , पीछे, ऊपर , अंदर , बाहर आदि।
- परिमाणवाचक क्रियाविशेषण – जैसे – जितना, उतना, बराबर आदि ।
क्रिया विशेषण पद का परिचय करने के लिए आवश्यक बातें –
- क्रिया विशेषण के भेद -रीतिवाचक क्रिया विशेषण, कालवाचक क्रिया विशेषण , स्थान वाचक क्रियाविशेषण, परिमाणवाचक क्रियाविशेषण
- सम्बन्ध – जिस क्रिया की विशेषता प्रकट की गई है, उसके साथ सम्बन्ध ।
उदाहरण :
- राजू धीरे -धीरे लिख रहा है।
धीरे – धीरे – क्रिया विशेषण , रीतिवाचक , ” लिख रही ” क्रिया की रीति की विशेष्ता।
Pad parichay | पद परिचय | sambandhbodhak pad parichay
सम्बन्धबोधक पद परिचय
सम्बन्धबोधक क्या है ?
ये वे शब्द होते हैं जो संज्ञा या सर्वनाम के बाद आकर उनका सम्बन्ध वाक्य के अन्य शब्दों के साथ करते हैं। इसमें कोई न कोई परसर्ग लगे हुए होते हैं। जैसे – से , को आदि ।
सम्बन्धबोधक के कितने भेद होते हैं ?
अर्थ के आधार पर सम्बन्धबोधक के भेद –
- समता वाचक : तरह , सामान , जैसे , बराबर आदि ।
- पृथकता वाचक : अलग , दूर , हटकर आदि ।
- विनिमय वाचक : बदले, स्थान , जगह आदि ।
- स्थानवाचक : निचे, पीछे , वहां , दूर, आदि ।
- साधनवाचक : माध्यम, सहारे , जरिये आदि।
- विरोधवाचक : खिलाफ , विपरीत , प्रतिकूल आदि।
- संगवाचक : संग , सहित , साथ आदि ।
- तुलनवाचक : आगे, मुकाबले, सामने आदि ।
- व्यतिरेक वाचक : सिवा, बिना, आलावा आदि ।
- कालवाचक : बाद , पहले , पश्चात आदि ।
- हेतुवाचक : चलते, कारण, खातिर , लिए आदि ।
क्रिया पद का परिचय करने के लिए आवश्यक बातें –
- सम्बन्धबोधक भेद – समता वाचक ,पृथकता वाचक,विनिमय वाचक ,स्थानवाचक, साधनवाचक, विरोधवाचक ,संगवाचक ,तुलनवाचक, व्यतिरेक वाचक ,कालवाचक, हेतुवाचक
- सम्बन्ध – अन्य पदों से सम्बन्ध
उदाहरण :
- रवि के बदले सोहन खेल रहा है ।
के बदले – सम्बन्धबोधक , विनिमय वाचक , रवि और सोहन के बीच सम्बन्ध ।
Pad parichay | पद परिचय
समुच्चयबोधक पद परिचय
समुच्यबोधक क्या है ?
समुच्चयबोधक वे शब्द होते हैं जो दो शब्दों , वाक्यांशों और वाक्यों को जोड़ते हैं। जैसे – और , तथा , या, क्योकि, परन्तु आदि ।
समुच्चयबोधक के कितने भेद होते हैं ?
समुच्चयबोधक दो प्रकार के होते हैं –
- समानाधिकरण समुच्चयबोधक वे शब्द होते हैं जो सामान पदों , वाक्यांशों , पदबंधो , वाक्यों और उपवाक्यों को जोड़ते हैं । ये निम्न प्रकार के होते हैं –
- संयोजक समानाधिकरण – जैसे – और , तथा, एवं , व् आदि ।
- विभाजक समानाधिकरण – जैसे – या, अथवा , चाहे, या , या कि।
- विरोधदर्शक समानाधिकरण – जैसे – मगर , किन्तु , परन्तु, लेकिन, पर आदि।
- परिणामदर्शक समानाधिकरण – जैसे – अन्यथा , इसलिए , ताकि, फलतः आदि ।
2. व्यधिकरण समुच्चयबोधक वे शब्द होते हैं जो एक या अधिक आश्रित उपवाक्यों को जो जोड़ते हैं । जैसे – क्योकि , ताकि आदि । ये निम्न प्रकार के होते हैं –
- करणवाचक व्यधिकरण – ये कारणसूचक होते हैं । जैसे – इसलिए , जोकि, के कारण , इसलिए कि आदि ।
- स्वरूपवाचक व्यधिकरण – उपवाक्य के पूर्व लगकर प्रथम उपवाक्य के स्वरुप को स्पष्ट करते हैं। जैसे – यानि , अर्थात , मानो, कि आदि ।
- उद्देशय वाचक व्यधिकरण – ये प्रथम उपवाक्य के उद्देशय स्पष्ट करते हैं । जैसे – ताकि, कि, इसलिए आदि।
- संकेतवाचक व्यधिकरण – दो उपवाक्य के शुरू में लगकर दोनों को जोड़ने का काम करते हैं । जैसे – अगर -तो , चाहे – परन्तु , यदि- तो आदि ।
समुच्चयबोधक पद का परिचय देने के लिए आवश्यक बातें –
- समुच्चयबोधक के भेद
- वाक्य के साथ सम्बन्ध दिखाना
उदाहरण –
- पिताजी खाना नहीं लाये इसलिए बच्चे भूखे थे ।
इसलिए – समुच्चयबोधक , परिणामदर्शक समानाधिकरण , ” पिताजी खाना नहीं लाये ” और ” बच्चे भूखे थे ” उपवाक्यों को जोड़ने कर कार्य ।
Pad parichay | पद परिचय
विस्मयादिबोधक पद परिचय
विस्मयादिबोधक क्या है ?
ये वे शब्द होते हैं जो विस्मय , शोक , प्रशंसा, घृणा व् प्रसन्नता आदि भावों को प्रकट करते हैं । जैसे – वाह, शाबाश , ओह , सुन्दर आदि ।
विस्मयादिबोधक शब्द –
विस्मय – क्या , अरे आदि
हर्ष – वाह, आह आदि ।
घृणा – छी!
सम्बोधन – अजी, ओ आदि।
शोक – हाय!, आह ! aadi.
आशीर्वाद – खुश रहो, बने रहो आदि।
स्वीकृति – जी , जी हाँ , ठीक आदि
कृतघ्नता – धन्यवाद् , आभारी आदि ।
विस्मयादिबोधक पद का परिचय देने के लिए आवश्यक बातें –
- विस्मयादिबोधक भेद – जैसे – पीड़ा, शोक , प्रसन्नता, भय आदि।
- सम्बन्ध बताएं।
उदाहरण :
- वाह ! भारत तो जीत गया ।
वाह – विस्मयादिबोधक , प्रसन्नतासूचक , प्रसन्नता का भाव दर्शानेवाला .
Pad parichay | पद परिचय
पद-परिचय के उदाहरण
- बाग में गए परंतु वहाँ कोई फल न मिला।
- वे – पुरुषवाचक सर्वनाम, अन्यपुरुष, पुल्लिंग, बहुवचन, कर्ताकारक, ‘गए’ क्रिया का कर्ता।
- बाग में – जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, अधिकरण कारक (में परसर्ग) ।
- गए – अकर्मक क्रिया, ‘जा’ धातु, पुल्लिंग, बहुवचन, भूतकाल, निश्चयार्थ, कर्तृवाच्य, कर्तरि प्रयोग।
- परंतु – व्यधिकरण समुच्चयबोधक, दो वाक्यों को जोड़ता है।
- वहाँ–स्थानवाचक क्रिया विशेषण
- कोई — संख्यावाचक विशेषण (अनिश्चित संख्यावाचक), पुल्लिंग, एकवचन, ‘आम’ विशेष्य का विशेषण ।
- आम- जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्मकारक।
- न- रीतिवाचक क्रिया-विशेषण (निषेधवाचक) (‘मिला’ क्रिया)।
- मिला–सकर्मक क्रिया, ‘मिल’ धातु, पुल्लिंग, एकवचन, भूतकाल, निश्चयार्थ, कर्तृवाच्य, कर्मरि प्रयोग (” कर्ता का लोप) इस क्रिया का कर्म ‘आम’ है।
2.मैं पिछले वर्ष उसे दिल्ली में मिला था।
- मैं – पुरुषवाचक सर्वनाम (उत्तम पुरुष), पुल्लिंग, एकवचन, कर्ताकारक ‘मिला था’ क्रिया का कर्ता।
- पिछले–संख्यावाचक विशेषण (क्रमसूचक), साल-विशेष्य, पुल्लिंग, एकवचन।
- वर्ष- जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन उसे पुरुषवाचक सर्वनाम (अन्य पुरुष), पुल्लिंग-स्त्रीलिंग दोनों में संभव एकवचन, कर्मकारक ।
- दिल्ली में – व्यक्तिवाचक संज्ञा पुल्लिंग, एकवचन, अधिकरण कारक (में– परसर्ग)।
- मिला था— सकर्मक क्रिया (उसे-कर्म) पूर्णभूतकाल, पुल्लिंग एकवचन।
3. धीरे-धीरे कुछ सिपाही हमारी तरफ आ गए।
- धीरे-धीरे-अव्यय, रीतिवाचक, क्रिया विशेषण, (‘आ गए’–क्रिया की विशेषता)
- कुछ– संख्यावाचक विशेषण (अनिश्चित संख्यावाचक) ‘लोग’– विशेष्य
- सिपाही – जातिवाचक संज्ञा पुल्लिंग, बहुवचन, कर्ताकारक, ‘आ गए’–क्रिया का कर्ता।
- हमारी–पुरुषवाचक सर्वनाम (उत्तम पुरुष) बहुवचन, स्त्रीलिंग।
- तरफ – अव्यय, स्थानवाचक क्रिया विशेषण, ‘आ गए’–क्रिया की स्थान संबंधी विशेषता।
- आ गए-अकर्मक क्रिया, संयुक्त क्रिया, भूतकाल, कर्तृवाच्य, कर्तरि प्रयोग।
परीक्षा हेतु पद – परिचय के प्रश्न : CBSE
- हमने कल आगरा देखा।
- पहाड़ो पर बर्फ जमी है।
- वे रात भर जागते हैं।
- रोगी गाय का दूध पीता है।
- आश्रम में गरीबों को भोजन दिया जाता है।
- वृक्षारोपण के लिए गड्ढे खुदवाए गए।
- मैं आज सो नहीं पाया।
- उसने केले खरीदे।
- बहन ने भाई को राखी बाँधी।
- माँ धाय से बच्चे को नहलवाती है।
- इन दिनों खूब वर्षा हो रही है।
- खिलाड़ी पुरस्कार पाता है।
- कुछ लोग दूसरों को उपदेश देते हैं।
- नौकर से घर की सफाई करवाओ।
- वह तेज दौड़ता है।
- ड्राइवर बस चला रहा है।
- सूर्य संसार को प्रकाश देता है।
- वे किसान से खेत जुतवाते हैं।
- रंजना सुबह को टहलती है।
- आनंद ने रवि को किताब दी।
- विद्यार्थी समाचार पत्र पढ़ता है।
- भूखे को खाना खिलाना चाहिए।
- राजू हमेशा हँसता ही रहता है।
- बच्चे कुत्ते को रोटी खिलाते हैं।
- उसने केले खरीदे।
- मैंने संदेश भिजवाया है।
- मोहन ने खेत जुतवाया।
- मनीषा फल खाती है।
- माँ बालक को दूध देती है।
- मुन्ना सोता है।
- ममता पुस्तक पढ़ती है।
- मामा ने मुझे साड़ी दी।
- पक्षी उड़ते हैं।
- नानी ने कहानी सुनवाई |
- गीता ने महेश को गीत सुनाया।
- गधा दौड़ रहा है।
- ममता जूते पर पालिश करवाती है।
- दिनेश ने खाना खिलवाया।
- आशा पुस्तक पढ़ रही है।
- बच्चा सो रहा है।
- रमेश ने पिताजी को पत्र लिखा।
- वे गीत गाती हैं।
- कानन जग रही है।
- शिक्षक शिष्यों से निबंध लिखवाते हैं।
- मोहन ने माताजी को पत्र लिखा।
- उसने कमीज सिलवाई।
- बछड़ा दूध पीता है।
- लड़के चलने लगे।
- सरकार अध्यापक को वेतन देती है।
- रामु ने राजू को इंग्लिश पढ़ाया ।
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