जीवन में सफलता का रहस्य समय के सदुपयोग ( Samay ka sadupyog ) में ही निहित है। इस संसार में प्रत्येक व्यक्ति जो अपने समय का सदुपयोग करता है, उन्नति के शिखर पर पहुंचता है। संसार के सभी अनुभवी विद्वानों ने समय के महत्त्व को समझाने का प्रयास किया है। यदि धन खो जाये तो पुनः प्राप्त हो सकता है।
यदि स्वास्थ्य खो जाए तो भी उसको प्राप्त किया जा सकता है, परन्तु समय यदि एक बार हाथ से निकल जाए तो पुनः लौट कर नहीं आ सकता । समय एक अमूल्य धन है। समय का सदुपयोग करना ही मानव के लिए कल्याणकारी है ।
बहुत से व्यक्ति, आलस्य वश समय का सदुपयोग नहीं करते और अपना जीवन बर्बाद कर लेते हैं। जो लोग उचित समय पर काम में हाथ नहीं लगाते, कभी सफल नहीं होते और बाद में उन्हें पछताना पड़ता है । ‘अब पछताए क्या होता है जब चिड़ियाँ चुग गई खेत’ की कहावत चरितार्थ होती है।
प्रत्येक कार्य को समय पर पूरा करने से ही सफलता प्राप्त होती है। कार्य को न करने के स्थान पर थोड़ा थोड़ा करते रहना भी अच्छा है। कार्य को समयानुकूल करने पर जीवन में सफलता प्राप्त होती है। अन्यथा समाज में निन्दा का पात्र बनना पड़ता है। इसलिए मनुष्य जीवन में जो समय हमें प्राप्त हुआ है उसका उपयोग सावधानी पूर्वक करनी चाहिये ।
बिना सोचे किनारे भी कार्य नहीं करना चाहिए। कार्य करने से पूर्व दूसरों की सम्मति और अनुभव का भी आदर करना चाहिये ।
कार्य का अच्छा या बुरा फल, समय के सदुपयोग पर ही निर्भर है। चाहे धनी हो या निर्धन, राजा हो या रंक जो व्यक्ति .समय के महत्त्व को पहचान कर कार्य नहीं करता, उसे बाद में पछ ताना पड़ता है। समय पर चूक जाने से बड़े-बड़े साम्राज्य भी नष्ट हो जाते हैं।
समय पर परीक्षा भवन न पहुंचने पर प्रश्नपत्र अधूरा रह जाता है। समय पर दिये हुये वचन को पूरा न करने पर समाज में निन्दा होती है। मनुष्य को आलस्य छोड़कर समय के महत्त्व को पहचानना चाहिए। समय का अपव्यय करना आत्महत्या के समान है।
समय के सदुपयोग ( Samay ka sadupyog ) से मनुष्य के विचार गम्भीर और पवित्र होते हैं। मनुष्य में नैतिक साहस बढ़ता है। विद्वान् का समय तो काव्य ग्रन्थों और शास्त्रों को पढ़ने में व्यतीत होता है। मूर्खों का समय विभिन्न प्रकार के व्यसनों में, निद्रा और कलह में व्यतीत होता है। इसलिए समय को व्यर्थ नष्ट नहीं करना चाहिये ।
समय व्यतीत होते देर नहीं लगती। अतः जब क्षण-क्षण से बना हुआ जीवन अमूल्य है। समय को बेकार की बातों में नष्ट नहीं करना चाहिये। बीता हुआ समय पुनः लौट कर नहीं आता।
अतः मनुष्य को चाहिये कि वह ज्ञान प्राप्ति के लिये अध्ययन, सुख प्राप्ति के लिए व्यवसाय सन्तोष प्राप्ति के लिये परोपकार और ईश्वर प्राप्ति के लिये प्रार्थना और स्वास्थ्य प्राप्ति के लिए व्यायाम में अपना समय लगाए। समय का सदुपयोग करे।