visheshan

Visheshan

आप इस अंश में Visheshan |विशेषण | विशेषण के भेद | Visheshan ke kitne bhed hote hain  जैसे समस्त विषयों को विस्तारपूर्वक जानेंगे 

 visheshan

 

visheshan | विशेषण वे शब्द होते हैं जिनसे संज्ञा या सर्वनाम शब्दों की विशेषता ज्ञात हो । ये विशेषता गुण, संख्या , परिमाण अथवा सार्वनामिक के रूप में हो सकते हैं।  जैसे –

  1. वह ठंडा पानी पिता है।
  2. मटके में थोड़ा पानी है।
  3. मुझे कुछ रूपए चाहिए ।
  4. ये खट्टी इमलियाँ कहाँ से लाये ?
  5. इन आसान सवालों का जवाब दें।

उपर्युक्त वाक्यों में आये शब्द जैसे “ठंडा, थोड़ा , कुछ , खट्टी और आसान” शब्द विशेषण शब्द हैं क्युकि ये शब्द वाक्य में प्रयोग किये गए संज्ञा शब्द जैसे – “पानी, रूपए, इमलियाँ और सवालों ” की विशेषता बता रहे हैं। अतः इन वाक्यों से स्पष्ट हो जाता है वाक्य में संज्ञा या सर्वनाम शब्दों की जो विशेषता बताये , उन्ही शब्दों को विशेषण (visheshan) कहते हैं। 


 

हिंदी व्याकरण में विशेषण visheshan में दो अंगों की प्रायः चर्चा की जाती है।

  1. विशेष्य
  2. विशेषण

विशेष्य क्या है ?

विशेष्य शब्द वे शब्द होते हैं जिनकी विशेषता बताई जाती है। जैसे – सीता बहुत सुन्दर है। इस वाक्य में सीता विशेष्य है क्योंकि सीता की विशेषता बताई जा रही है और जो विशेषता बताई जा रही है वह विशेषण है। इस वाक्य में “सुन्दर” विशेषण (visheshan) है।

अन्य उदहारण –

विशेषण विशेष्य 
सुन्दरछवि
एक किलोआटा
पांचरोटी
चारलोग
लम्बीरस्सी
अच्छीबच्ची
पतलादूध
हरीघास
कालीभैस

 


 

विशेषण के प्रमुख नियम व् तथ्य 

1.उद्देश्य विशेषण और विधेय विशेषण – एक वाक्य में विशेषण का कोई निश्चित स्थान नहीं होता है। विशेषण विशेष्य के पहले या बाद में आ सकता है।

जब विशेषण विशेष्य के पहले ( पूर्व ) में आते हैं तो उन शब्दों को उद्देश्य विशेषण कहते हैं। और वही विशेषण अगर विशेष्य के बाद में आये तो विधेय विशेषण (visheshan) कहलायेगा । जैसे –

2. होनहार छात्र सबकी बात मानते है । (उद्देश्य विशेषण )

3. वे छात्र होनहार है । ( विधेय विशेषण )

4. विशेषण में आकारांत पुल्लिंग शब्द  बहुवचन मे एकरंत हो जाते है। जैसे – अच्छा – अच्छे।

5. कुछ ऐसे विशेषण शब्द होते हैं जो लिंग व् वचन के अनुसार कभी परिवर्तित नहीं होते । जैसे – सुन्दर , ज्यादा , सुखी आदि ।

6. कुछ विशेषण संज्ञा की भांति भी प्रयोग किये जाते है। जैसे – बड़ों की बातें हमेशा माननी चाहिए ।

7. कभी – कभी विशेषण शब्द पुनरुक्त रूप से भी प्रयोग में लाये जाते हैं। जैसे – सब थोड़ा – थोड़ा खाना खा लो।

 


 

प्रविशेषण क्या है ?

pravisheshan kya hai ?

कभी – कभी हम वाक्य रचना में संज्ञा तथा विशेषण के साथ विशेषण की भी विशेषता देखी जाती है। उन्ही विषेशताओं को प्रविशेषण कहते हैं । दूसरे शब्दों में यह कह सकते हैं ये शब्द विशेषण की विशेषता बताते हैं। जैसे –

  1. आज मैंने बहुत ज्यादा खा लिया है।
  2. वह बहुत अच्छा लड़का है।
  3. वह सबसे बदमाश लड़का है।
  4. भारत की सबसे लम्बी नदी गंगा है।
  5. वह अत्यंत बातूनी है।

कुछ अन्य शब्द – बड़ा , बिलकुल , ठीक , कम, बहुत , अधिक, अच्छी आदि प्रविशेषण के रूप में ही प्रयोग में लाये जाते है।

 


विशेषण के भेद | kinds of adjectives

विशेषण (visheshan) के कितने भेद होते हैं ?( visheshan ke kitne bhed hote hain )

विशेषण के मूलतः चार भेद होते हैं-

  1. गुणवाचक विशेषण
  2. संख्यावाचक विशेषण
  3. परिमाणवाचक विशेषण
  4. सार्वनामिक विशेषण

 

गुणवाचक विशेषण

वाक्य में प्रयुक्त ऐसे शब्द जो किसी संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के रंग, रूप, गुण , दोष, आकर और स्थान आदि के बारे में बतलाते हैं उन्ही शब्दों को गुणवाचक विशेषण (visheshan) कहते हैं। जैसे –

  1. रोहन बहुत कमजोर हो गया है।
  2. गुलाबी रंग की कमीज तो दिखाओ ।
  3. कुछ लोग कठोर मन के होते हैं।
  4. कायर लोगों के साथ तो ऐसा ही होता है।
  5. हम सब भारतीय हैं।

गुणवाचक विशेषण की पहचान करने के लिए हमें प्रत्येक आयामों को भली प्रकार से समझना होगा। निम्नलिखित शब्दों को देखकर आप गुणवाचक विशेषण की पहचान कर पाएंगे।

विशेषता प्रयोग किये जाने वाले शब्द 
कालमासिक , साप्ताहिक, प्राचीन, समकालीन, दैनिक, ताजा, पिछला आदि ।
रंगगोरा, काला, सफ़ेद , नारंगी, मटमैला, चमकीला, धुंधला, लाल आदि।
गुणशांत, साहसी , सरल, दयालु, दानी , ईमानदार, अच्छा, न्यायी आदि।
दशाकमजोर, भीगा, गीला, रोगी, मोटा, पतला, सूखा, पुराना आदि।
दिशापूर्व , पश्चिम, बहार, भीतर, ऊपर , नीचे, आदि ।
स्थानबंगाल, बिहार, भारत, ग्रामीण, शहरी, चीनी, पहाड़ी आदि।
दोषकपटी, क्रोधी, कंजूस, निर्दयी, झूठा, आलसी, कायर, कामचोर आदि।
अवस्थायुवा, बाल्य , किशोर, निर्धन, अमीर, गरीब आदि।
आकारसीधा, गोल, टेढ़ा, चौरस ,  तिरछा, आयताकार, छोटा, बड़ा आदि।
गंधसुगन्धित, दुर्गन्ध, बदबूदार आदि ।
स्पर्शकठोर, कोमल, चिकना, मृदुल, सख्त आदि।
स्वादमीठा, खट्टा, तीखा, बेस्वाद, फीका, नमकीन आदि।

 


 

संख्यावाचक विशेषण 

वाक्य में प्रयोग ऐसे शब्द जो किसी संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का बोध कराये, उन्ही शब्दों को संख्यावाचक विशेषण (visheshan) कहा जाता है। जैसे –

  1. रोहन तो दस साल से बीमार पड़ा है।
  2. आज वह पहली कक्षा में जाएगी।
  3. मेरे लिए बाजार से चार केले ले आना।
  4. आज दसवीं कक्षा का परिणाम आ गया ।
  5. मेरे गांव में लगभग अस्सी मकान ही हैं।

 

संख्यावाचक विशेषण की भेद 

हिंदी व्याकरण की अनुसार संख्यावाचक विशेषण की दो भेद भी होते हैं। जो निम्न प्रकार की हैं।

  1. निश्चित संख्यावाचक
  2. अनिश्चित संख्यावाचक

निश्चित संख्यावाचक

वाक्य में प्रयुक्त वे विशेषण शब्द जिसकी एक निश्चित संख्या का बोध हो अर्थात संख्या सम्बंधित विशेषता का बोध हो उन शब्दों को निश्चित संख्यावाचक विशेषण (visheshan) कहते हैं। जैसे –

  1. आज पंद्रह लोगों का खाना बनेगा।
  2. भारत की तीन खिलाड़ियों को अमरीका जाना है।
  3. मेरे खेत में आज दो ही मजदुर काम पर लगे हैं।
  4. मेरे घर पर आज सौ मेहमान आने वाले हैं।
  5. मेरे लिए दस रोटी लाना।

उपर्युक्त वाक्यों में ” पंद्रह , तीन , दो, सौ, और दस ” शब्दों का प्रयोग निश्चित संख्यावाचक विशेषण (visheshan) की रूप में हुआ है।

अगर हम निश्चित संख्यावाचक विशेषण को और विस्तार से देखे तो हम इसे निम्लिखित रूपों में देख और पहचान कर सकते हैं।

गणनाशब्द – एक , दो, तेईस , सवा, डेढ़ सौ, आदि।

उदाहरण – १। मैं तो सौ रूपए रोज कमाता हूँ। २। रवि की दो पुत्रियां है।

आवृतिशब्द – दुगना, चौगुना, दोहरा आदि।

उदाहरण – १। रोहन की पास दुगना रुपया है। २। मैं तो जनता हूँ की उसकी तो दोहरी आमदनी है।

क्रमशब्द – तीसरी, दूसरी, बीसवीं आदि ।

उदाहरण – १। मेरी बहन तीसरी कक्षा में पड़ती है। २। वो देखो बीसवीं मंजिल पर मेरा मेरा ही मकान है।

समूहशब्द – चारो, दोनों, लाखों आदि।

उदाहरण – १। यह तो लाखो का मकान है। २। उसके तो चारो बेटे मुर्ख है।

प्रत्येकशब्द – हर रोज, प्रति दिन , हर आदमी, प्रति माह आदि।

उदाहरण – १। मैं तो प्रतिदिन घूमने जाता हूँ। २। आज तो हर आदमी ही व्यस्त है।

समुच्यशब्द – सैकड़ा , चौका, छक्का, सतसई, दर्जन आदि ।

उदाहरण – १। मुझे दर्जन भर केले दे दो। २। आज मेरे गांव में सतसई प्रवचन होने वाला है।

 

अनिश्चित संख्यावाचक

वाक्य में प्रयुक्त वे विशेषण शब्द जिसकी कोई  निश्चित संख्या का बोध न हो अर्थात संख्या सम्बंधित विशेषता न हो उन शब्दों को अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण (visheshan) कहते हैं। जैसे –

  1. मेरे पास अब कुछ ही रूपए बचे हैं।
  2. कई लोगों की पास तो खाने को रोटी तक नहीं है।
  3. लोगो ने अपने लाभ की लिए अनेकों पेड़ काट दिए।
  4. आज तो घर में कुछ भी नहीं है।
  5. आज आपने कुछ तो कमाया ही होगा ।

उपर्युक्त वाक्यों में आये ” कुछ, अनेकों, कई ” शब्दों से हमें किसी निश्चित संख्या का बोध नहीं हो रहा है , इसी कारण ये शब्द अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण हैं।


 

परिमाणवाचक विशेषण 

वाक्य में प्रयुक्त वे शब्द जिससे किसी नाप -तौल के बारे में ज्ञात हो अर्थात किसी संज्ञा या सर्वनाम शब्दों की संख्या का बोध करने वाले शब्दों को परिमाणवाचक विशेषण (visheshan) कहते हैं। जैसे –

  1. मेरे लिए एक लीटर दूध ले आना ।
  2. रीता को दो किलो चीनी दे देना।
  3. साहब मेरे पास तो बस पांच किलो आम ही बचे हैं।
  4. महीने में मैं चार लीटर तेल खरीदता हूँ।
  5. मोटर से सौ किलोमीटर जाना है।

उपर्युक्त वाक्यों में ” एक लीटर, को किलो, सौ किलोमीटर ” शब्द परिमाणवाचक विशेषण हैं।

 

परिमाणवाचक विशेषण के भेद –

परिमाणवाचक विशेषण के दो भेद होते हैं-

  1. निश्चित परिमाणवाचक विशेषण
  2. अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण

निश्चित परिमाणवाचक विशेषण –

वाक्य  में प्रयुक्त वे शब्द जिससे किसी के निश्चित परिमाण का बोध हो अर्थात संज्ञा या सर्वनाम के परिमाण  का निश्चित बोध करता हो , वे शब्द ही निश्चित परिमाणवाचक विशेषण (visheshan) कहलाता हो। जैसे –

  1. तीन मीटर कपड़ा ले आओ।
  2. रोहन के पास दो दर्जन केले हैं।
  3. मेरे तो पांच किलो आम ख़राब हो गए।
  4. राजू मेरे घर पर रोज एक लीटर दूध लाता है।
  5. राजू आधा लीटर दूध मुझे भी देना।

उपर्युक्त वाक्यों में आये शब्द जैसे – तीन मिटेर, दो दर्जन , पांच किलो, एक लीटर , आधा लीटर , निश्चित परिमाणवाचक विशेषण के उदहारण हैं।

अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण –

वाक्य में प्रयुक्त ऐसे शब्द जिससे परिमाण का तो बोध हो पर कोई निश्चित परिमाण का पता न चले, उन शब्दों को अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण (visheshan) कहते हैं। दूसरे शब्दों में हम कह सकते ये किसी संज्ञा या सर्वनाम के परिमाण का बोध तो करते हैं पर निश्चित परिमाण का नहीं। जैसे –

  1. रोहन तो बहुत खाता है।
  2. दुकान से थोड़ा तेल ले आना ।
  3. आज सब्जी में थोड़ी सी चीनी भी डाल देना।
  4. ज्यादा नमक खाना अच्छा नहीं।
  5. घर पर बहुत सा सामान बेकार पड़ा है।

उपर्युक्त वक्तों में आये शब्द जैसे – बहुत , थोड़ा , थोड़ी , ज्यादा, अनिश्चित परिमाण को ही दर्शाते हैं।

 


 

सार्वनामिक विशेषण

संज्ञा के बदले प्रयुक्त होने वाले शब्द ही सर्वनाम होते हैं पर कभी-कभी यही सर्वनाम, संज्ञा के पहले आकर एक विशेषण के रूप में कार्य करते हैं। इन्ही सर्वनामों को सार्वनामिक विशेषण (visheshan) कहते हैं। विशेष बात यह है कि ये हमेशा संज्ञा के पहले ही आते हैं। जैसे –

  1. मेरी धोती तो तुमने कहाँ रखा है?
  2. हमारा घर आज बहुत अच्छा लग रहा है।
  3. उस दुकान पर बहुत अच्छी जलेबिया मिलती हैं।
  4. किस कुत्ते ने तुम्हे काटा?
  5. उस बदमाश को मेरे पास ले आओ।

उपर्युक्त वाक्यों में प्रयुक्त शब्द जैसे मेरी, हमारा, उस, किस, उस , सार्वनामिक विशेषण के ही उदहारण है क्युकि ये शब्द संज्ञा के पहले आकर उसकी विशेषता बतला रहे हैं।

 

सार्वनामिक विशेषण के चार भेद देखे जाते है। जैसे –

( क )निश्चयवाचक या संकेतवाचक सार्वनामिक विशेषण- 

ये सर्वनाम किसी संज्ञा के निश्चय अथवा संकेत दर्शाने के लिए प्रयोग में लाये जाते है। जैसे –

  1. वह रीता की कलम है।
  2. इस रोटी को गाय को खिला देना ।
  3. उस भिखारी को कुछ खाने को दे देना।

(ख) अनिश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण  –

ये सर्वनाम किसी संज्ञा के पूर्व में तो आते है पर अनिश्चित होने का बोध करते हैं। जैसे –

  1. कुछ चीजे तो मैं भूल गया।
  2. कोई मेहमान आये तो घर पर बिठाये रखना।
  3. आज तुम्हे कुछ रोटियां ही खाने को मिलेंगी।

( ग ) प्रश्नवाचक सार्वनामिक विशेषण –

वे सर्वनाम जो संज्ञा के पूर्व में आकर किसी प्रश्न को जागृत करे । जैसे –

  1. कौन आदमी दरवाजे पर खड़ा है?
  2. किस बच्चे को तुम घर पर उठा लाये ?
  3. कौन सी चटनी तुम लोगी ?

( घ ) सम्बन्धवाचक सार्वनामिक विशेषण –

ये सर्वनाम प्रायः दो वाक्यों किए बीच आकर सम्बन्ध जोड़ने कर कार्य करते हैं तथा विशेष संज्ञा की ओर संकेत भी करते है। जैसे –

  1. जो कल दूध दे गया था, वही मेरा भाई है।
  2. जो सब्जी कल तुमने दी, वह तो पूरी ख़राब निकली।
  3. जिसने तुम्हे मारा, वे जरूर पकड़े जायेंगे।

 


 

निश्चयवाचक सर्वनाम और सार्वनामिक विशेषण में अंतर 

इन दोनों में बहुत ही साधारण सा अंतर दिखाई देता है। अगर आप निश्चयवाचक सर्वनाम को देखे तो ज्ञात होगा कि इस सर्वनाम में केवल किसी व्यक्ति , वस्तु, प्राणी, घटना आदि का निश्चित होने का बोध करता है।

पर सार्वनामिक विशेषेण में किसी व्यक्ति, वस्तु, या प्राणी की विशेषता ही प्रकट की जाती है। जैसे –

  1. यह रोहित की कलम है। (निश्चयवाचक सर्वनाम
  2. यह कलम रोहित की है। (सार्वनामिक विशेषेण)

उदाहरण (1) में “यह “ सर्वनाम निश्चितता का बोध करा रहे हैं। यह रोहित की कलम है किसी और की नहीं। पर (2) में “यह कलम” में कलम की विशेषता बता रहे हैं।

 

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visheshan ke kitne bhed hote hain

विशेषण शब्दों की रचना  

व्याकरण की तौर पर, विशेषण शब्द मूल रूप सी बहुत ही काम पाए जाते हैं इसलिए इन्हे बनाने के लिए संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, अव्यय आदि के शब्द प्रयोग में लाये जाते है। इन्ही शब्दों में उपसर्ग और प्रत्यय लगाने पर विशेषण बन जाते हैं।

संज्ञा से विशेषण शब्दों की रचना
संज्ञा विशेषण संज्ञा विशेषण 
बंगाल बंगालीकृपा कृपालु
योग योगीचाचा चचेरा
ज्ञान ज्ञानीविश्वास विश्वसनीय
भाग्य भाग्यशालीसुख सुखी
पानपानवालामाया मायावी
पुलक पुलकितदिन दैनिक
चित्र चित्रितभूगोल भौगोलिक
कल्पना काल्पनिकशाप शापित
शब्द शाब्दिकबाधाबाधित
विज्ञान वैज्ञानिकअध्यात्म आद्यात्मिक
निंदा निन्दितपरिवार पारिवारिक
पाप पापीपीड़ा पीड़ित
विवाह वैवाहिकविकास विकसित
बल बलवानरोग रोगकारक
लेख लिखितआराम आरामदायक
साहित्य साहित्यिकगाड़ी गाड़ीवान
सुगंध सुगन्धितदया दयनीय
अपराध अपराधीआत्मा आत्मिक
आश्रय आश्रितसाहस साहसिक
रोग रोगीमोह मोहित
घृणा घृणितशिक्षा शिक्षित
श्रम श्रमिकअंक अंकित
समाज सामाजिकपुष्प पुष्पित
गुणगुणवती, गुणीपुण्य पुण्यमय
संसार सांसारिकअनुवाद अनुदित
ह्रदय हार्दिकनिर्वासन निर्वासित
देह दैहिकसम्मान सम्मानित 
स्वर्ग स्वर्गीयराष्ट्र राष्ट्रीय 
जहर जहरीलाक्रोध क्रोधी 
लूट लुटेराबनारस बनारसी 

 

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सर्वनाम शब्दों से विशेषण शब्दों की रचना 
सर्वनाम विशेषण सर्वनाम विशेषण 
वह वैसा आप आपसा
जो जैसा तुम तुमसा
कौन कौनसा हम हमसा
यह ऐसा मैं मुझसा

 

क्रिया शब्दों से विशेषण शब्दों की रचना 
क्रिया विशेषण क्रिया विशेषण 
टिकना टिकाऊतैरना तैराक
सजाना सजावटीकमानाकमाऊ
बेचना बिकाऊमरना मरियल
काटना कटाईभागना भगोड़ा

visheshan ke kitne bhed hote hain

अभ्यास के लिए प्रश्न

विशेषण बताइये :

  1. कोई आदमी आया है।
  2. मेरे लिए लम्बी सीढ़ी ले आना ।
  3. लाल गुलाब मुझे भी पसंद है।
  4. कैसा आदमी है?
  5. बाहर कौन रो रहा है?
  6. अगले सप्ताह मैं घर आऊंगा।
  7. सूरज की लाली देखते ही बनती है।
  8. हल्की लाल कमीज मुझे चाहिए।
  9. किसकी रोटी तुम ले आये ?
  10. तुम्हारे पास तो दस बहाने हैं।

 

इन गद्यांशों में से विशेषण चुने और उनकी पहचान करें ?

  1. एक राज्य में बड़े प्रतापी राजा उदय सिंह राज्य करते थे। वे बड़े दयावान, न्यायी और प्रजा के हित रक्षक थे। उनकी प्रशंसा आसपास के राज्यों में फैली हुई थी। लोग उनके न्याय की मिसाल देते थे। उनके राज्य की प्रजा सुखी थी। वे विद्वानों का आदर करते थे।
  2. एक दिन उनके दरबार में एक बन्दर का तमाशा दिखाने वाला आया। उसने राजा और दरबारी लोगों को बन्दर का तमाशा दिखाया। उस बन्दर को मदारी ने काफी काम सिखा दिए थे। सिवाय बोलने के वह सब काम कर देता है और आदमियों की बातें समझ लेता। राजा ने प्रसन्न होकर उस बन्दर को मदारी से अच्छा मूल्य देकर खरीद लिया और अपने महल में रख लिया। राजा जो कार्य करने को कहता, वह उस कार्य को कर देता।
  3. थोड़े ही दिनों में उसने राजा का दिल जीत लिया। अतः राजा ने उसे अपनी सेवा में रख लिया। जब राजा शयन करता वह बन्दर राजा को पंखे से हवा करता। इस प्रकार उसने अपने काम को समझ लिया था। राजा शीतल हवा के स्पर्श से सुख का अनुभव करता था। हर दिन राजा उस बन्दर की प्रशंसा करता था और उसे अपने साथ दरबार में भी ले जाता था।
  4. सभी लोग उसे देखकर अपना मनोरंजन करते। कभी वह दरबारियों से जाकर हाथ भी मिला लेता था।एक दिन दरबार से आकर खाना खाकर राजा अपने शयन कक्ष में चला गया। राजा विश्राम करने लगा और बन्दर ने पंखा लेकर हवा करना शुरू कर दिया।
  5. थोड़ी देर में ही शीतल पवन के स्पर्श से राजा को गहरी नींद आ गई। कुछ देर बाद एक मक्खी आकर राजा की नाक पर बैठ गई। बन्दर ने उसे पंखे से उड़ा दिया। वह मक्खी पुनः वहीं पर आकर बैठ गई। बन्दर ने उसे फिर उड़ा दिया। इस तरह कई बार हुआ वह ढीठ मक्खी अपनी हरकत से बाज नहीं आ रही थी। बन्दर राजा को बहुत चाहता था।
  6. मक्खी की हरकत से उसे बहुत क्रोध आया। उसने इधर-उधर देखा तो पाया कि एक कोने में राजा की खुली तलवार रखी थी। बन्दर उठा और दोनों हाथों से तलवार को उठा लाया और बड़े जोर से उसे राजा की नाक पर बैठी हुई मक्खी पर दे मारा।

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