- दीपावली का अर्थ और महत्त्व
- अमावस्या का महत्त्व
- दीपावली की तैयारी
- दीपावली कैसे मानते हैं
- उपसंहार
दीपावली पर निबंध
Table of Contents
Diwali essay in Hindi
दीपावली का अर्थ और महत्त्व–
दीपावली का शाब्दिक अर्थ है -दीपों की आवली या पंक्ति। यह त्यौहार भारत में हिन्दू धर्म में मनाई जाने वाली प्रसिद्ध त्यौहार है। इस त्यौहार को प्रकाश या दीपों का त्यौहार भी कहते हैं। इस दिन हम घर का कोना- कोना दीपों से प्रकाशित करते हैं। ये हर्ष व् उल्लास तथा प्रीति का त्यौहार माना जाता है। ये अंधकार पर प्रकाश की विजय का त्यौहार है।
हम दिया जलाकर पूरी मानव जाति व् जीवों के विकास व् उन्नति की कामना की जाती है। हम ईश्वर से हमारे जीवन से अंधकार दूर करने की प्रार्थना करते हैं। जीवन से अंधकार अर्थात गरीबी, अभाव, वैर भाव व् अज्ञान को दूर कर ज्ञान का प्रकाश फ़ैलाने का संकल्प लेते हैं। माना जाता है कि दीपावली आदिकाल से ही आर्यों द्वारा मनाई जाती रही होंगी। आर्यों कृषि पर ही निर्भर हुआ करते थे और यही उनकी सम्पन्नता का प्रतीक था।
जब घर घर फसलों से भर जाता होगा तब “अन्न धन ” रूपी लक्ष्मी के स्वागत के लिए घर की लीपा पोती की जाती होगी। घर आंगन को साफ सुथरा किया जाता था। अन्न को घर पर लाते ही उनके अभाव मिट जाते थे और इसी ख़ुशी को जाहिर करने के लिए वे नए कपास की बाती से, नए तिल के तेल में दिप संजोया जाता रहा होगा। नए वर्ष की अगवानी की जाती रही होगी।
दीपावली पर अमावस्या का महत्त्व –
दीपावली में माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। माना जाता है कि जब समुद्र मंथन हुआ था तब चौदह रत्नो के साथ माता लक्ष्मी भी प्रकट हुई थी। इस लक्ष्मी का पादुर्भाव कार्तिक की अमावस्या को ही हुआ था और यही कारण है कि कार्तिक की पूर्णिमा को ही माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस अवसर पर घर – घर गणेश लक्ष्मी की पूजा बड़े धूम धाम से होती है।
लक्ष्मी जी धन संपत्ति की देवी मानी जाती है और गणेश जी को मंगल और विघ्नाशक के देवता के रूप में प्रतिष्ठित है। धन सम्पति से कहीं हमारा जीवन पाप और विघ्नो से युक्त न हो जाये इसलिए माता लक्ष्मी के साथ गणेश जी की भी पूजा की जाती है। लक्ष्मी रूपी धन की प्राप्ति के लिए श्रम की आवश्यकता होती है और इसी श्रम को गणेश जी मंगलकारी बनाते है। धर्म के साथ प्राप्त धन ही मंगलकारी और पूजनीय होती है। यही कारण है लक्ष्मी के साथ गणपति का पूजन होता है।
कथा – हमारे समाज में एक किंवदंती बहुत ही प्रचलित है। माना जाता है कि जब मर्यादा पुरुषोत्तम राम जी रावण का वध कर भगवती सीता को लेकर अयोध्या लौटे थे, तो अयोध्या वासी बेहद प्रसन्न हुए थे। इसी प्रसन्नता को जाहिर करने के लिए अयोध्यावासी पुरे नगर को दीपों से सजा दिया था। श्रीराम जी पुरे चौदह वर्षों के बनवास बाद अयोद्या लौटे थे।
इसी अमावस्या के दिन महाराज युधिष्ठिर का राजसूय यज्ञ संपन्न हुआ था। राजा विक्रमादित्य भी इसी दिन सिंहासन पर बैठे थे। सिखों के गुरु हरगोविंद जी ने इसी दिन कारावास से मुक्ति भी पाई थी। ये घटनाये अनायास ही इसी दिन हुई थी पर मूल मुख्यतः ये दिवस हज़ारों सालों से हम मानते आ रहे हैं। इन घटनाओं का दीपावली से कोई सीधा सम्बन्ध नहीं माना जाता है।
दीपावली तो पाप और पुण्य की विजयगाथा का त्यौहार का बखान करती है। दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छिगुनी पर गोवर्धन पर्वत धारण किया था। और दीपावली के ठीक तृतीया दिन, भाईदूज का पर्व भी मनाया जाता है। भाईदूज में यमराज और उसकी बहन यमी के भाई बहन के पवित्र रिश्तों की याद की जाती है।
दीपावली की तैयारी–
सारे भारत में शरद ऋतु के प्रारम्भ में दीपावली का त्यौहार आता है। इस त्यौहार से एक माह पूर्व है इसकी तैयारी शुरू हो जाती है। प्राचीन काल से ही घरों की सफाई, लिपाई पुताई व् रंग रोगन आदि होता आ रहा है। इस त्यौहार को स्वछता का त्यौहार भी माना जा सकता है। सफाई के कारण घर आंगन नया सा लगने लगता हैं। बाज़ारों में खरीदारी के लिए बड़ी भीड़ देखने को मिलती है। हर कोई अपने घर के लिए मूर्ति, मिठाईया , नए कपड़े और पटाखों की खरीदारी करने में जुट जाते हैं। हर जगह खुशनुमा माहौल होता है।
दीपों के साथ -साथ आजकल बिजली के दीपों की सजावट देखते ही बनती है। घर- घर रंगीन कागजों से सजावट की जाती है। घर के आंगन में रंगोली और फूलों से सजावट होती है। हर कोई अपने घर को सबसे अच्छी सजावट से सजाने की होड़ में लगा होता है। पूरा शहर जैसे दुल्हन ही बन जाती है। दीपावली के दिन शायद ही घर, गांव या शहर का कोई कोना अंधकार में होता होगा। ये प्रकाश का त्यौहार, पुरे संसार को मानो प्रकाशित व् अलोकिक कर देता है।
दीपावली पर निबंध
दीपावली कैसे मानते हैं-
दीपावली के दिन लोग लक्ष्मी गणेश की पूजा करते हैं। इस अवसर पर घर घर मिठाइयां और पकवान बनते हैं। इस दिन घरों, बाज़ारों व् गली मोहल्लों को खूब सजाया जाता है। रात के समय जगमगाती दीयों की रौशनी सबका मन मोह लेती है। अमावस की गहन रात्रि प्रकाशमय हो जाती है। विद्युत् के प्रकाश से पूरा नगर चकाचौंध से भर जाता है। कहीं पुष्पमालाओं की लड़ी दिखाई देती है तो कहीं रंगीन कागजों की सजावट देखने को मिलती है।
कलात्मक झंडियों से पूरा माहौल सजा धजा सा प्रतीत होता है। दीपावली के अवसर पर दीवारों पर शुभ लाभ लिखा जाता है। घर के प्रवेश द्वार पर स्वस्तिक के चिन्ह बनाये जाते है। ये चिन्ह दीर्घायु और कल्याण का प्रतीक होता है। दीपावली अब सिर्फ दीपों का त्यौहार ही नहीं रह गया, अपितु यह आतिशबाजी की होड़ के रूप में भी देखा जाता है। इस दिन शाम से ही पटाखों की गूंज सुनाई देने लग जाती है।
पूरा पर्व ही पटाखों के गूंज के साथ बच्चों की किलकारिओं से गूंज उठता है। अतिशबाजिओं के रंगीन रौशनी में मानो पूरा वातावरण जगमगा उठता है। ये रंग बिरंगी रौशनी सबका मन मोह लेती है। बच्चों के हाथों में फुलझड़ियाँ बेहद ही मनमोहक लगती हैं। चारो और जलती फुलजारियाँ, रंगीन चिंगारियां , गगन को छूती आतिशबाजी सबके मन में अद्भुत उत्साह और खुशियां भर देती हैं।
दीपावली पर निबंध
उपसंहार –
ये त्यौहार मंगल कामनाओं का त्यौहार है। इस दिन बंधू -बांधवों और मित्रों के साथ हर और उल्लास के साथ मानना चाहिए। हमें इस त्यौहार को बड़ी ही सौहाद और प्रेम से मनाएं। यह हमारे लिए एक महान और सांस्कृतिक पर्व ही नहीं अपितु गर्व का प्रतीक भी है। यह दिन हमे महापुरुषों की गाथाओं की याद तो दिलाता ही है पर साथ साथ ये हमें पुरे संसार को प्रकाशमय बनाने की प्रेरणा भी देता है। इसमें हम समस्त मानव जाति को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने की कामना भी करते हैं। ये पर्व सिर्फ बाहर के अंधकार को दूर ही नहीं करता अपितु हमारे मन के भीतर के अंधकार को भी दूर करता है।
पर इस त्यौहार के साथ कुछ बुराइयां भी जुड़ गई है। ये दीपों का त्यौहार था पर आज हमने इसे आतिशबाज़िओं का त्यौहार बना दिया है। ये आतिशबाज़ी खतरनाक तो होती ही है पर साथ ही साथ ये पर्यावरण के लिए भी घातक सिद्ध हो रही है। पूरा पर्यावरण दीपावली में धुंए से भर जाता है। पशुओं के साथ साथ नन्ही चिड़िया भी इससे घबरा जाती है। इससे वायु प्रदूषण में इज़ाफ़ा तो होता ही है पर साथ साथ ये पटाखों की गन्दगी भी सवर्त्र फैली देखी जा सकती है।
इस दिन आप मंगल गीत गायें और सबके लिए मंगल कामना करें। खुशियों के साथ मिठाइयां भी बाटें। हर धर्म में सौहार्द की भावना को जागृत करने का प्रयास करें। दीपावली हर्ष और उल्लास का पर्व है और यही भावना सभी के मन में बनी रहें।
दीपावली पर 10 लाइन –
- दीपावली प्रकाश का पर्व है।
- दीपावली में घर- आंगन दीपों से जगमगा उठता है।
- इस दिन सभी अपने घर की सफाई के साथ रंग – रोगन भी करते हैं।
- दीपावली को स्वछता का त्यौहार भी कह सकते हैं।
- हम इसे बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मानते हैं।
- इस दिन हर घर में लक्ष्मी गणेश जी की पूजा होती है।
- दीपावली के दिन घर पर मिठाइयां और पकवान बनती है।
- छोटे और बड़े सभी आतिशबाजी का मज़ा लेते हैं।
- दीपावली का पर्व धनतेरस से लेकर भैयादूज तक पांच दिनों तक मनाया जाता है।
- दीपावली हमारे लिए एक महान एवं सांस्कृतिक पर्व है।
हमने दीपावली पर निबंध ब्लॉग में आपतक इस विषय से सम्बंधित समस्त जानकारी पहुंचने का प्रयास किया है। ये निबंध स्कूली छात्रों के लिए बेहद उपयोगी है। परीक्षा की दृस्टि से भी इसे खण्डों में विभाजित कर प्रस्तुत किया गया है। इस निबंध का प्रत्येक अंश मुख्य तथ्यों से परिपूर्ण है। अगर आपको हमारा प्रयास अच्छा लगा तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं। हम आगे भी इसी तरह के निबंध लाते रहेंगे। हम आपके सुझावों का भी स्वागत करते हैं।