CID KA FULL FORM अर्थात Crime Investigation Department है । ये एक आपराधिक जाँच विभाग है जो अपने स्तर पर निष्पक्ष जाँच के लिए उत्तरदाई होती है। इस गठन वर्ष 1902 में पुलिस आयोग की शिफारिशों को ध्यान में रखते हुए ब्रिटिश सरकार द्वारा किया गया था। ये पुलिस बल की एक शाखा है जो सादे कपड़ें में जासूसी करके अपराधियों को कानून के समक्ष प्रस्तुत करती है।
CID KA FULL FORM तो अब आप समझ गए होंगे। आइये अब इसके विषय में कुछ विशेष बातें जानतें है।
- CID का गठन ब्रिटिश सरकार द्वारा किया गया था।
- लखनऊ के CID कार्यालय के बाहर प्रवेश द्वार पर राय बहादुर पंडित शंभू नाथ के चित्र पर “भारतीय सीआईडी का पिता” की संज्ञा दी है।
- CID की स्थापना को लेकर उन्नीसवीं सताब्दी में लन्दन विशेष जागरूक हो गया था जिसके कारण उन्होंने हर जगह CID के कार्यालय खोले।
- CID शब्दावली ब्रिटिश की ही देन है । इसी के ही कारण पूरी दुनिया अपने पुलिस बालों में इस CID विभाग को पूरी तरह से मंजूरी दे दी और इसके अस्तित्व को बनाये रखा।
- वर्ष 1929 में CID दो मुख्य विभागों में विभाजित हो गई। पहला CID और दूसरा CB (CRIME BRANCH).
- CID में मुखिया के तौर पर “एडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ़ पुलिस” कार्यरत होते हैं।
CID BRANCHES
सीआई डी शाखाएं – CID का कार्य क्षेत्र बहुत ही व्यापक होता है। यही कारण है इसे अलग अलग कई विभागों में बाँट दिया गया है। इसके हर विभाग अपने निर्दिश्ट कार्य को पूरा करने में सक्षम होते है। आइये उनके विभागों को देखें।
१।टी-नारकोटिक्स सेल – ये देश में नशीली दवाओं के उपयोग पर अपनी नज़र बनाई रखती है। ये नारकोटिक्स दवाओं के उत्पादन को अपने नियंत्रण में रखती है। देश भर में नशीली दवाओं के बहिस्कार पर कार्यक्रम आयोजित कर लोगों में जागरूकता पैदा करने कार्य करती हैं।
२। सीबी-सीआईडी – CB-CID अर्थात क्राइम ब्रांच जो अपराध सम्बंधित जाँच करती है। इनका कार्य आपराधिक जाँच, अभियोजन और ख़ुफ़िया जानकारी एकत्र करना होता है। इनका कार्य बहुत ही व्यापक होता है। राजनैतिक हो या सांप्रदायिक, सभी मामलों में ये जाँच कर सकती है।
३। मानव तस्करी और गुमशुदा व्यक्ति प्रकोष्ठ – Anti-Human Trafficking & Missing Persons सेल में मानव तस्करी, जबरन श्रम , दस्ता आदि पर नजर बनाये रखती है। ये आजकल अंतरास्ट्रीय स्टार पर हो रही है। इसके अंतर्गत महिलाओं और बच्चो पर असर देखा जा रहा है । यह विभाग मानव तस्करी और गुमसुदा व्यक्ति की संख्या को रोकने के लिए हर मुमकिन कोसिस करती है।
इस विभाग ने मानव अंगो व् ऊतकों की तस्करी में भी अंकुश लगाने का अतुलनीय कार्य किया है।
४। फिंगर प्रिंट ब्यूरो – Finger Print Bureau में अंगुली छाप से सम्बंधित सभी मामलों की जाँच करती है। निजी एजेंसियां या व्यक्ति के मामले भी इसी के द्वारा सुलझाए जाते है। सबसे पहले इसकी स्थापना कोलकाता में 1955 में हुई । जब सीबीआई ने इसे अपने अधिकार में ले लिया तब इसका मुख्यालय नई दिल्ली हो गई।
५। आतंकवाद निरोधी दस्ते – Anti-Terrorism Squad (ATS) ये राज्य स्तर पर कार्य करते हैं। महाराष्ट्र , केरल, गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल आदि जैसे कई राज्यों में इसकी स्थापना की गई है। ये आतंकवाद से निपटने के लिए जाने जाते हैं।
CID – FREQUENTY ASKED QUESTION ( FAQ)
ANS- आप किसी भी विषय से स्नातक कर UPSE की परीक्षा के द्वारा इसमें शामिल हो सकते हैं। आप पुलिस विभाग में शामिल होकर आतंरिक परीक्षा देकर भी cid बन सकते हैं। |
ANS- CID में अलग – अलग स्तर पर अलग अलग सैलरी देखने को मिलती है। यहाँ एक असर की सैलरी 12 लाख सालाना तक हो सकती है। |
ANS- Crime Investigation Department. |
ANS – CID हर राज्य के पुलिस विभाग के से जुडी हुई संस्था है। पश्चिम बंगाल, ओडिसा, तेलंगाना, करेला आदि की अपनी CID विभाग है। ये भारत के गृह मंत्रालय के संपर्क में रहते हैं। |
ANS- CID राज्य स्तर पर और सीबीआई केंद्र स्तर पर कार्य करता है। वैसे तो दोनों ही जाँच एजेंसियां है। CID प्रत्येक राज्य के पुलिस विभाग में शामिल एक संस्था है। ये राज्य की पुलिस की सहयोगी है। अपराध सम्बन्धी सभी मामलों में ये एक अभूतपूर्व भूमिका निभाती है। |
ANS- ये अपराध को रोकने, उसके कारणों का पता लगाने, आपराधिक रिकॉर्ड को संजोने, ख़ुफ़िया प्रणाली तो सुचारु रूप से चलने आदि महत्वपूर्ण कार्य इन्ही के द्वारा किया जाते है। ये अपराध विश्लेषण करने में माहिर होते है। ये अपने निष्पक्ष जांच के लिए जाने जाते हैं। |
ANS- सीबीआई में प्रवेश पाने हेतु आपको अंकगणित और सामान्य अध्ययन की विशेष रूप से तैयारी करनी होगी। आपको CGPE(Combined Graduate Preliminary Exam)/ UPSE में ये विषय अचे अंक दिलवाने में मददगार सिद्ध होगी। |
ANS- नहीं, आपको स्नातक की डिग्री हासिल करनी होगी। सनतक की डिग्री के बाद ही आप सीबीआई के लिए आवेदन कर सकेंगे। |
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