Nibandh lekhan या Hindi essay हिंदी गद्य साहित्य का एक अंग है। निबंध का अर्थ है- भलीभांति शब्दों में बंधी हुई रचना। निबंध लेखन विषय सम्बन्धी रचना का ही एक रूप होता है। निबंध लेखन एक साहित्यिक कला है। एक अच्छे निबंध में रचनाकार के विषय सम्बन्धी ज्ञान, भाषा पर अधिकार और उसके व्यक्तित्व की झलक दिखाई देती है। अंग्रेजी में इसे हम Hindi essay या Hindi paragraph कहते हैं।
निबंध के विषय के सम्बन्ध में अगर हम बात करें तो हमें ज्ञात होगा कि आपके अनुभव और ज्ञान के समबन्ध में आने वाले सभी विषय, निबंध के विषय बन सकते है। स्कूली पाठ्यक्रम में कक्षा 1 से 12 वीं तक हमें ऋतुयें , पर्व और त्यौहार, आत्मकथा, विद्यालय, विद्यार्थी, जीवन मूल्य, सूक्तियों, प्राकृतिक सौंदर्य, वर्णनात्मक, समाज, विज्ञानं, पर्यावरण, भौगोलिक, भारत की समस्याएं आदि पर निबंध पढ़ने और लिखने को मिलते ही हैं।
Nibandh lekhan Topics
- कबीर दास पर निबंध
- सूरदास ( CBSE Class 10 – पद सहित )
- समय का सदुपयोग
- वसंत ऋतू पर निबंध
- दीपावली पर निबंध
- दहेज प्रथा पर निबंध
- स्वामी विवेकानंद पर निबंध
Table of Contents
Hindi paragraph
रचनागत विशेषताओं पर क्रमबद्ध चर्चा
Nibandh lekhan यानि हिंदी निबंध की रचना करते वक़्त लेखक या रचनाकार को कुछ नियमो का विशेष ध्यान रखना होता है। वस्तुतः इन नियमों को आप रचनागत विशेषता भी कह सकते है। तो आइये इन्ही कुछ रचनागत विशेषताओं पर क्रमबद्ध चर्चा करते हुए इसे समझने का प्रयास करते है।
अच्छे निबंध में कौन कौन से गुण होने चाहिए?
१। भाषा को ध्यान में रखते हुए हम निबंध को दो भागो में विभाजित कर सकते है। पहला, अगर हमारा निबंध का विषय किसी साहित्य विषय है तो भाषा उत्कृष्ट होनी चाहिए। अक्सर देखा जाता है कि ऐसे विषयों में तत्सम शब्दों का अधिक प्रयोग होता है। और दूसरी , अगर हमारा विषय सामान्य है जो अक्सर स्कूली पाठ्यक्रमों में देखा जाता है, तो इसमें हमें सरल और सुबोध भाषा का ही प्रयोग करना होता है।
२। निबंध की रचना करते वक़्त आपको आपके वाक्य रचना पर विशेष ध्यान देना होगा। ध्यान रहे, आपके वाक्य विषय से सम्बंधित हो और हर एक वाक्य एक दूसरे से सुनियोजित ढंग से जुड़ा हुआ होना चाहिए।
३। निबंध को रोचक और प्रभावशाली बनाना है तो आपको इनमे मुहावरों, लोकोक्तियों, उदाहरणों आदि का समावेश करना होगा। निबंध का मूल उद्देस्य विषय के सम्बन्ध के पूर्ण जानकारी व् ज्ञान प्रदान करना है। अगर इसे प्रभावशाली ढंग से लिखे तो ये रोचक और असरदार सिद्ध होती है।
निबंध के कितने प्रकार हैं?
प्रस्तुतिकरण की दृस्टि से निबंध के चार भेद हो सकते है जैसे –
- विवरणात्मक निबंध अर्थात ऐसे विषय जिसमे हम किसी स्थान, व्यक्कि, वस्तु आदि का विवरण प्रस्तुत करते है।
- वर्णनात्मक निबंध अर्थात ऐसे विषय जिसमे हम किसी घटना, यात्रा, त्यौहार आदि का वर्णन करते है।
- विचार प्रधान निबंध अर्थात ऐसे विषय जिसमे आपके विचार की प्राथमिकता होती है। जैसे -मित्रता, मन के हरे हर है , मन के जीते जित आदि विषय इसी अंश में आते हैं।
- भावप्रधान निबंध अर्थात ऐसे विषय जिसमे आपके भाव की प्रधानता होती है जैसे – मेरा प्रिय पुस्तक, मेरा घर, मेरा गांव आदि।
Nibandh lekhan का प्रारूप
आप जानते ही हैं कि निबंध लेखन एक साहित्यिक कला है जिसे लिखने के पूर्व हमें कुछ तैयारियां भी करनी होती है। आइये इसके लिखने के पूर्व की तैयारी पर चर्चा करते है।
१। आपको निबंध के विषय सम्बंधित पूर्ण जानकारी होनी चाहिए । आप जानकारी प्राप्त करने के लिए विभिन्न स्रोतों का प्रयोग जैसे – विषय सम्बंधित पुस्तक या इंटरनेट आदि का प्रयोग कर सकते हैं। आप जितनी जानकारी इकट्ठी कर लेंगे, आप उतना ही प्रभावपूर्ण तरीके से निबंध लिख पाएंगे।
२। स्कूली छात्र इस विषय पर अपने मित्रों से चर्चा कर सकते है। चर्चा करने पर आपकी विभिन्न बिंदुओं पर आपकी जानकारी बढ़ेगी। हर एक का अपना दृश्टिकोण होता है और आपको इन्ही दृश्टिकोण का समावेश अपने निबंध में करना है।
३। विद्यार्थी ज्ञानजन के लिए अपने शिक्षकों से चर्चा भी कर सकते है। इससे आपके ज्ञान में और इज़ाफ़ा होगा जो आपकी लेखनी को और बेहतर बनाएगा।
४। आप निबंध सम्बन्धी एक रुपरेखा जरूर तैयार कर लें। रुपरेखा से सम्बंधित सामग्री भी जुटाएं । जैसे – उदाहरण, लोकोक्ति, मुहावरे आदि।
५। यथा संभव आप विषय सम्बन्धी अपने अनुभव का भी उल्लेख तथा भाषा को सरल और रोचक बनाये रखने की चेष्टा रखें।
निबंध लेखन की विधि
अब प्रश्न उठता है कि निबंध लेखन के प्रमुख सोपान कितने होते हैं? या निबंध लेखन की विधि क्या है ? तो आइये अब इसके उत्तर को विस्तार से जानने कर प्रयास करते है। निबंध लिखने की विधि को हम तीन भागों में बाट सकते हैं। इन तीन बिंदुओं को ध्यान में रखकर हम पूरी निबंध रचना बड़ी ही सरलता से कर सकते हैं। आइये उन तीन बिंदुओं को जानने का प्रयास करते हैं।
- पहला बिंदु – प्रस्तावना या भूमिका
- दूसरा बिंदु – विषय का विस्तार या प्रतिपादन
- तीसरा बिंदु – उपसंहार
उपरोक्त सभी बिंदुओं पर अगर हम ध्यान दें तो एक प्रभावी निबंध हम अवश्य ही लिखा सकते हैं। तो अब हम इन बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
प्रश्न 1 – निबंध में प्रस्तावना कैसे लिखते हैं?
निबंध की भूमिका में क्या लिखा जाता है? / रूपरेखा से आप क्या समझते हैं?
Ans- जब भी हम निबंध के लिए किसी विषय को चुनते हैं तो उस विषय पर लिखने से पहले ही हम उस विषय से सम्बंधित कुछ बिंदुओं को लिख लेते है। इन बिंदुओं पर ही निबंध की रचना की जाती है। ये बिंदु ही प्रस्तावना या भूमिका या रुपरेखा कही जाती है। ये बहुत ही रोचक और ज्ञानवर्धक होनी चाहिए। प्रस्तावना को पढ़कर पाठक निबंध के विषय के सम्बन्ध के जान सकता है और उसे उत्सुकता से पढ़ता भी है। कुछ बिंदुओं का प्रस्तावना लिखने से पूर्व ध्यान में रखना जरुरी है। जैसे –
- प्रस्तावना अधिक लम्बी नहीं होनी चाहिए।
- मुख्य बिंदुओं पर केंद्रित होनी चाहिए।
- ये सरल भाषा में हो और सुबोध हो।
- ये भावपूर्ण और निबंध के बारे में संछिप्त जानकारी देने वाला हो।
- प्रस्तावना के तुरंत बाद ही निबंध की शुरुआत करनी चाहिए।
प्रश्न 2- निबंध में विषय का विस्तार या प्रतिपादन कैसे करते हैं ?
Ans- प्रस्तावना लिखने के तुरंत बाद ही हमें विषय के सम्बंधित लेख लिखना शुरू कर देना चाहिए। विषय पर लिखते वक़्त आप इन बिंदुओं को अवश्य ही अपने ध्यान में रखें।
- विषय पर लिखते वक़्त आप अपने विचार और तथ्यों का संयोजन सठिक ढंग से करें।
- जिस क्रम में आपने अपने प्रस्तावना या भूमिका को लिखा है उसी क्रम को आप अपने विषय विस्तार में लिखें।
- आप हर मुख्य बातों के लिए अलग अलग अनुच्छेदों का प्रयोग जरूर करें। इससे आपकी लेखनी अधिक सुबोध और सुगठित लगती है।
- अगर आप अपने निबंध को अनुच्छेदों में विभाजित करते हैं तो ख्याल रहे की एक अनुच्छेद में सिर्फ एक ही मुख्य विषय केंद्रित होनी चाहिए। किसी बात को गोल गोल अर्थात घुमा फिरा कर न लिखें। नए तथ्यों या शब्दों का समावेश जरूर करें।
- किसी भी तथ्यों को लिखते वक़्त उसके क्रम का अवश्य ख्याल रखें।
- अनुच्छेद को ऐसे लिखें ताकि वह अन्य अनुच्छेदों के साथ सम्बन्ध स्थापित कर पाए।
- उदहारण आप तभी दें जब उसकी जरुरत हो अन्यथा उदहारण और अनुच्छेद में समन्वय स्थापित नहीं हो पायेगा।
- उदहारण गद्य और पद्य दोनों रूपों में हो सकता है।
- सबसे मुख्य बिंदु है भाषा। आप निबंध की भाषा सुबोध रखें ताकि पाठक उसे पढ़ने में आनंद का बोध करे और अंततः ज्ञानवर्धक हो।
प्रश्न 3- निबंध के उपसंहार में क्या लिखा जाता है?
उपसंहार विधि क्या है? / हिंदी निबंध में उपसंहार कैसे लिखें ?
Ans- निबंध का अंतिम पड़ाव उपसंहार ही होता है अर्थात जब हम निबंध में किसी विषय को विस्तार से लिख लेते हैं तो उस निबंध का अंत करते वक़्त उपसंहार लिखा जाता है। उपसंहार, निष्कर्ष का ही रूप होता है। आप उस निबंध के विषय में अंत में क्या कहना चाहते हैं उसे उपसंहार में ही लिखा जाता है। ये संछिप्त रूप में ही होता है। पर ये आपके विचार को व्यक्त करने में सक्षम होता है।
Nibandh lekhan
आइये कुछ निबंध के उदहारण को देखते हैं और उसे लिखने के लिए किस प्रकार के संकेत बिंदु का प्रयोग किया जाता है उसे भी जानते है। ये संकेत बिंदु हमारे निबंध लेखन में बहुत ही सहयोगी होती है। इन संकेत को मैंने से हम किसी विषय पर सिर्फ एक बार ही बताते हैं और दोहराने की गलती कभी नहीं होती है। निम्न एक उदहारण देखिए –
निबंध – मेरा प्रिय त्यौहार
संकेत बिंदु –
- आपके प्रिय त्यौहार का नाम क्या है?
- आपको वही त्यौहार क्यों प्रिय लगता है?
- त्यौहार साल में कब आता है?
- त्यौहार के उत्सव में कौन-कौन शामिल होते हैं?
- सुबह आप कितने बजे उठते हैं?
- उठते ही त्यौहार के दिन आप क्या-क्या करते हैं?
- त्यौहार का आरम्भ आप किस प्रकार करते हैं?
- क्या त्यौहार के दिन आप अपने मित्रों और सम्बनन्धियों को बुलाते हैं?
- घर में उस दिन आप क्या-क्या पकाते हैं?
- अपना घर आप किस प्रकार सजाते हैं?
- दिन-भर उस दिन आपके घर में क्या-क्या होता रहता है?
- इस त्यौहार के आरम्भ की कहानी के बारे में आप क्या जानते हैं?
- क्या त्यौहार के दिन नाच और गाने के कुछ कार्यक्रम होते हैं?
- इस त्यौहार की और विशेषताएँ क्या-क्या हैं?
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मुझे उम्मीद है Nibandh lekhan के इस अंश से आप लाभान्वित हुए होंगे। ये हिंदी निबंध स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के दृस्टि से बेहद ही महत्वपूर्ण होते हैं। ये तो ज्ञान का अथाह सागर है। अगर आप हमारे प्रयास से प्रभावित है तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं। आपके सुझाव का हम हमेशा स्वागत करते है।