PADBANDH

Padbandh | हिंदी पदबंध वाक्य में प्रयुक्त प्रत्येक शब्द ‘पद’ कहलाता है। जब अनेक पद परस्पर संवादग्ध होकर (एक से अधिक पद परस्पर मिलकर ) एक पद की तरह ही प्रकार्य करते हैं, पदबंध कहलाता है।

 वाक्य का एक ऐसा अंश है, जिसमें एक या एक से अधिक पद परस्पर संबद्ध होकर एक इकाई के रूप में अर्थ या विचार को व्यक्त करते हैं। सामान्य रूप से एक वाक्य में दो या दो से अधिक पदबंधों का प्रयोग होता है।

पदबंध वाक्य स्तरीय सबसे छोटा खंड होता है, जो एक या एक से अधिक पदों से निर्मित होता है। पदबंधों से उपवाक्य की रचना होती है।

एक या एक से अधिक पदों का यह संयोजन, जो एक ही अवधारणा या संकल्पना को व्यक्त करता है, पदबंध कहा जाता है। जैसे-

(क) आम के पेड़ पर बैठी हुई दो कोयल

(ख) प्रश्न का सटीक उत्तर |

इन दोनों  पदबंधो में क्रमश: कोयलें’ तथा ‘उत्तर’ मुख्य या शीर्ष पद है। प्रत्येक पबंध में एक मुख्य या शीर्ष पर होता है, जिस पर अन्य आश्रित होते हैं,

जैसे- ‘सुंदर बच्चा’ पदबंध में ‘बच्चा’ मुख्य या शीर्ष पद है तथा ‘सुंदर पद बच्चा शीर्ष पद पर आश्रित है।

‘ अच्छे लोग ” ——‘ अच्छे ‘ पद  ‘ लोग ‘ पद की विशेषता बता रहा है।

यह विशेषण- विशेष्य संबंध है।

पदबंध में मुख्य पद पर एक या एक से अधिक पद आश्रित  हो सकते हैं, जैसे-‘ वे  चार खिलाड़ी लड़के’ पदबंध में मुख्य 

‘लड़के’ पद है !

‘लड़के ‘ मुख्य या शीर्षपद पर तीन पद व चार खिलाड़ी आश्रित पद है। ये तीनों पद विशेषणात्मक है। पदबंध में कभी-कभी आश्रित पद स्वयं एक पदबंध होता है –

जैसे- ‘बहुत सुंदर बच्चा’ पदबंध में ‘बच्चा’ पर शीर्ष पद हैं । इस शीर्ष पद पर पदबंध ‘बहुत सुंदर’ आश्रित है

  • बहुत सुंदर बच्चा

लेकिन ‘बहुत सुंदर ‘पदबंध में सुंदर शीर्ष या मुख्य पद है तथा “बहुत” उसका विशेषण अर्थात प्रविशेषण है।

PADBANDH


 

संरचना की दृष्टि से पदबंध, पद से बड़ी इकाई है। इसलिए संरचना के स्तर पर पदबंध में निम्नलिखित बातों का होना आवश्यक है

(क) पदबंध में एक या एक से अधिक पद होते हैं।

(ख) सभी पद परस्पर संबंद्ध होकर एक इकाई बनाते हैं। ७० पदबंध वाक्य का अंग है।

पदबंध अपने शीर्ष या मुख्य पद के शब्द भेद के नाम पर होता है;

जैसे-सुंदर बच्चा’ संज्ञा पदबंध है,

‘बहुत सुंदर बच्चा’ में बहुत सुंदर’ विशेषण पदबंध है क्योंकि सुंदर विशेषण शब्द भेद में आता है।

इसी तरह ‘बहुत ही उपयोगी पुस्तक’ संज्ञा पदबंध है, जिसमें पुस्तक शीर्ष या मुख्य पद है तथा विशेषक है- ‘बहुत ही उपयोगी।

उपर्युक्त पदबंध पर अगर हम गौर करें तो देखेंगे की विशेषक के स्थान पर एक पद नहीं है। वहां तो पुरे पदबंध का प्रयोग किया गया है। यहाँ मुख्य पद “उपयोगी ” है और साथ में ” बहुत ही ” विशेषक जुड़ा हुआ है।  

विशेषण की विशेषता बताने वाले पद को तकनीकी शब्दावली में प्रविशेषक कहा जाता है। इस पदबंध के शीर्ष में विशेषण होने के कारण यह विशेषण पदबंध है।


padbandh ke kitne bhed hote hain

पदबंध के कितने भेद होते हैं ? 

हिंदी पदबंध पाँच प्रकार के हो सकते हैं- padbandh ke bhed

(क) संज्ञा पदबंध

(ख) सर्वनाम पदबंध

(ग) विशेषण पदबंध

(घ) क्रिया विशेषण पदबंध

(ङ) क्रिया पदबंध |

पदों के प्रकार्य के आधार पर इनको भी कर्तापदबंध, कर्म पदबंध, पूरक पदबंध, क्रिया पदबंध, अव्यय पदबंध भी कह सकते हैं। पदबंध के विभिन्न प्रकारों का वर्णन इस प्रकार किया जा सकता है ।


Padbandh | हिंदी पदबंध

sangya padbandh 

Padbandh | संज्ञा पदबंध वाकय सौंदर्य में बहुत ही मुख्य भूमिका निभाता है। ये वाक्य में संज्ञापद का स्थान ले लेता है तथा इसकी पहचान यह है कि शीर्ष में संज्ञा पद होता है और अन्य सभी पद जो उस संज्ञा पद से जुड़े होते हैं वे सभी उस पर संज्ञा पद पर आश्रित होते हैं, जैसे- 

  • हमेशा झूठ बोलने वाले लोग ‘पदबंध में ‘लोग’ (संज्ञा) शीर्ष या मुख्य पद है तथा ‘हमेशा झूट बोलने वाले’ सभी पद ‘लोग’ पद पर आश्रित हैं। साथ ही पूरा पदबंध (पूरी रचना) “हमेशा इझूठ बोलने वाले लोग’ अकेले संज्ञा पद ‘लोग’ की तरह कार्य कर रहा है। इसी तरह अन्य उदाहरण भी देखे जा सकते हैं –
  • दशरथ नंदन श्रीराम चौदह वर्ष के लिए बन गए थे।
  • बंदूक की गोली से घायल बच्चा
  • मित्रों के साथ प्रातः काल पार्क में घूमना स्वास्थ्यवर्धक है।

 

  • प्रकार्य की दृष्टि से – कर्ता पदबंध जैसे- सारे लोग खामोश हो गया ।
  • कर्म के रूप में कर्म पर -जैसे- क्या आपने पिछले सप्ताह की इंडिया टूडो ‘पत्रिका पढ़ी है?
  • पूरक के रूप में पूरक्त पदबंध- जैसे- घनश्यामदास एक चतुर व्यवसायी है।

 

संज्ञापदबंध के शीर्ष से पहले तथा बाद में आने वाले विशेषक या विस्तारक पद भी कई तरह के होते हैं, जैसे- शैतान बच्चा, चतुर नौकर (गुण)/ तीन लेटे, पांच रुपस (संख्या) | चार मीटर कपड़ा (परिमाण ) | कोई बेसहारा बच्चा – (सार्वनामिक विशेषण )। सूजी हुई आँखों में, लिखा हुआ पत्र – (कृदंतीय विशेषण) | हाबड़ा स्टेशन से चलने वाली ‘रेलगाड़ी’ – ( कर्तृत्व वाची विशेषण) | सोने का समय (संबंध सूचक)

  • चाणक्य जैसा कूटनीतिज्ञ मंत्री – (तुलनावाची विशेषण) ।
  • पंडित जवाहर लाल नेहरू- (पूर्व उपाधि विशेषण) ।
  • संत ज्ञानेश्वर महाराज (पर उपाधि विशेषण)

कभी-कभी संज्ञापदबंध के शीर्ष के पूर्व आने वाले विशेषणों की एक लंबी श्रृंखला भी मिलती है, जैसे-

  • वे एक अत्यंत प्रतिष्ठित और धनवान व्यवसायी के परिश्रमी प्रपुत्र हैं।
  • हमेशा सत्य बोलने वाले लोग हर जगह सम्मान पते हैं ।
  • दिल्ली से आने वाले डाक्टरों को सम्मानित किया गया।

Sarvanam padbandh  

Padbandh | सर्वनाम पदबंध  में जिस पदबंध में शीर्ष के स्थान पर सर्वनाम पद हो, तो वह सर्वनाम पदबंध कहलाता है। सर्वनाम पदबंध वाक्य में सर्वनाम पद कीभाँति प्रयुक्त होते हैं,  जैसे-

भाग्य का मारा वह बेचारा |

सर्वनाम शीर्ष के परिधीय तत्व उससे पहले या बाद में भी आ सकते हैं, जैसे –

  •  मैं अकेला क्या कर सकता था ?
  •  तेजी से दौड़ती हुई वह गाड़ी से जा टकराई।
  • बहुत बढ़-चढ़ कर बोलने वाले लुम आज चुपक्यों हैं?
  • शेर की तरह दहाड़ने वाले तुम कॉप क्यों रहे हो ?

प्रकार्य की दृष्टि से

कर्ता के रूप में प्रयुक्त सर्वनाम पदबंध; जैसे

  • हम सब एक साथ चलेंगे 
  • आप सब कहाँ जा रहे हो ?

कर्म के रूप में प्रयुक्त सर्वनाम पदबंध, जैसे-

आशा है कि सरकार हम गरीबों को भी किसी अच्छी जगह पर बसाएगी ।

पूरक के रूप में प्रयुक्त सर्वनाम पदबंध, जैसे-

  • सुशीला तुम्हारी कौन है?
  • आपके मित्रों में से कोई समयपर नहीं पहुंचा।

visheshan padbandh

Padbandh | विशेषण पदबंध में विशेषण पदबंध के शीर्ष में विशेषण पर होता है तथा अन्य पद उसपर आश्रित होते हैं। विशेषण पदबंध वाक्य में विशेषण की तरह प्रयुक्त होते हैं।

विशेषण पदबंध प्रायः संज्ञा पदबंध के अंग बनकर वाक्यों में प्रयुक्त होते हैं अर्थात संज्ञा पदबंध में से संज्ञा पद को हटा देने के बाद शेष रचना विशेषण पदबंध होती है,

जैसे ‘चाँद से भी ज्यादा सुंदर ‘मुख’ संज्ञा पदबंध है। इस संज्ञापदबंध में से ‘मुख’ संज्ञापद को हटा देने के बाद शेष रचना ‘चाँद से भी ज्यादा सुंदर’ विशेषण पदबंध है। इस विशेषण पदबंध का शीर्षपद ‘सुंदर’ विशेषण है। प्रकार्य के रूप में विशेषण पदबंधों का स्वरूप यह हो सकता है, जैसे –

(1) कमरा बहुत ही सुंदर है। (पूरक)

(2) गुलाब के पौधे मेछोटे-छोटे फूल आ गए हैं। (संज्ञापद विशेषक)

(3) रो-रोकर पार भर देने वाले को लोग पसंद नहीं करते हैं। (संज्ञा पद स्थानापन्न )

(4) आज अचानक एक रतिजैसी सुंदरी दिखाई दी। (लुप्त उपमेय स्थानापन्न)

विशेषण पदबंध के शीर्ष के प्रविशेषक इन रूपों में मिलते हैं

  • बहुत सुंदर ——–(घनत्वक )
  • जिराफ जैसी बी ———(सादृश्यक)
  • हीरे से भी अधिक कठोर —— [( तुलना)
  • लगभग दस लाख – (अनुमान )
  • इसीतरह थोड़ा नमकीन, कुछ फीका-फीका, जरा खट्टा-खरा, लगभग हजार, कोई एक लाख, , ठीक दस हजार आदि।

अन्य उदाहरण

  • बराबर के मकान में रहने वाला आदमी छत से गिर पड़ा।
  • घर से आगा हुआ लड़का आज बापस आ गया ।
  • यह मकान इस गली के सभी मकानों से बड़ा है ।
  • मेरे मित्र बड़े नेक और ईमानदार है।

Kriya – visheshan padbandh

Padbandh | क्रिया-विशेषण पदबंध में क्रिया विशेषण पदबंध में क्रिया-विशेषण पद शीर्ष स्थान पर होता है तथा अन्य बद उस पद पर आश्रित होते हैं। क्रिया विशेषण पदबंध वाक्य में वही कार्य करता है, जो एक क्रिया विशेषण पद करता है।

क्रिया विशेषण पदबंध अव्यय पदबंध कहलाता है, जैसे- वह बहुत धीरे-धीरे उठा । मैं ‘बहुत धीरे- धीरे’ क्रिया विशेषण पदबंध है। यहाँ धीरे-धीरे क्रिया विशेषण है लया बहुत उसका क्रिया विशेषक है।

  • वह बहुत तेज छौड़कर आई है। (रीति वाचक )
  •  मैं कल शाम को चार बजे पहुँचूँगा । (समय वाचक )
  •  चोर उस ओर अंधेरे में गायव घे गया। (दिशा वाचक)
  • इसीतरह- तेजी से (रीति) ।
  • बारी-बारी से (क्रम) 
  • इधर- उधर (दिशा)
  • चार बजे (समय)
  • यहाँ-वहाँ (स्थानवाचका) 
  •  वह पहले से बहुत धीरे बोला |
  • लोग धीरे-धीरे बोलते-बतियाते जा रहे थे।

हिंदी पदबंध : क्रिया विशेषण पदबंधों की विशेषताएँ   

हिंदी में किया विशेषण पदबंधों की संज्ञा और परसर्ग / अव्यय के संयोग से होती है, जैसे

  • मैं नीचे के कमरे में रहूँगा | 
  • वह छत के ऊपर सो रहा है।
  • उसने बड़ी मेहनत से काम किया।

कुछ कृदंत रूपों से भी क्रिया विशेषण पदबंध हैं, जैसे –

  • वह धीरे धीरे सुबकते हुए कहने लगी। 
  • मैं दौड़कर वहाँ पहुँचा।
  • आप आराम से बैठकर बातें कीजिए। 

अधिकतर क्रिया विशेषण पदबंधों का प्रयोग वाक्य में वैकल्पिक होता है। यदि इन पदबंधों को वाक्य  से हटा भी दिया जाए, तो भी वाक्य की संरचना प्रभावित नहीं होती, जैसे

  • वह शाम को चार बजे पहुंचेगी ।
  •  वह रोते हुए बोला ।
  • क्रिया विशेषण पदबंध में क्रिया विशेषण शीर्ष में होने के आधार से पदबंध कई प्रकार के हो सकते हैं, जैसे –
  • आधी रात को —- (समय वाचक)
  • नास्ता पानी करने के बाद —— (क्रम सूचक)

Kriya padbandh

Padbandh |  क्रिया पदबंध क्रिया पदबंध के शीर्ष में क्रिया होती है। अन्य पद उस पर आश्रित होते हैं। क्रिया पदबंध वाक्य में क्रिया पद की भाँति प्रयुक्त होते हैं। क्रिया पदबंध की रचना मुख्य क्रिया तथा सहायक क्रिया (काम, वृति, पक्ष वाच्य आदि के प्रत्यय लगाकर) के संयोग से होती है। मुख्य क्रिया के अंतर्गत अकर्मक, सकर्मक, प्रेरणार्थक, संयुक्त आदि सभी प्रकार की क्रियाएँ (धातुएँ) आ सकती हैं। ) किया पदबंध का स्थान वाक्य के अंत में होता है, जैसे –

  • लड़का किताब पढ़ता है
  • लड़का किलाब पढ़ रहा है
  • लड़का किताब पढ़-चुका है
  • गड़कों में किताब पड़ी । 
  • लड़का किताब पढ़ेगा ।
  • लड़के ने किताब पढ़ ली है
  • वह झूठ बोल रहा है
  • वह निबंध लिख रहा है

क्रिया पदबंध के भेद:-

क्रिया पदबंधों के मुख्य रूप से दो भेद  –

(1) क्रिया विशेषणात्मक क्रिया पदबंध

(2) अंत: केंद्रिक क्रिया पदबंध

1.क्रिया विशेषणात्मक क्रिया पदबंध :-

यहाँ मुख्य -क्रिया पर क्रिया विशेषण पद या पदबंध आश्रित होता है, जैसे-

  • धीरे-धीरे चल रहा है।
  • तेजी से दौड़ रहा है |
  • सुबह-सुबह खेलता है। 
  • मैदान में दौड़ रहा है| 
  • कक्षा में पढ़ रहा है।

2.अंतः केंद्रिक क्रिया पदबंध :-

यहाँ भी मुख्य क्रिया पर अन्य सहायक, संयोगी तथा रंजक आदि क्रियाएँ आश्रित होती हैं जैसे –

मोहन किलाब पढ़ रहा है —– में क्रिया पदबंध ‘पढ़ रहा है’ है। इस क्रिया पदबंध का मुख्य /शीर्ष पद ‘पढ़’ है।अंताकेंद्रिक क्रिया पदबंध में समापिका क्रिया के साथ नकारात्मक या अवधारणत्मक निपात भी आ सकते हैं, जैसे- गिर ही पड़ा, गिरना जाए, पढ़ा भी नहीं जाता, आराम  से बैठा भी नहीं जाता।

अन्य उदाहरण

  • बंजारा गाला हुआ जा रहा है
  • छात्र पढ़कर सोगया।
  • आजकल बच्चे गाना सुनते-सुनते पढ़ते हैं।
  • हम अपना करना चाहते हैं।
  • वह पुस्तक पढ़ते-पढ़ते सो गया।
  • पिताजी प्रायः रोज बाग में टहलने जाया करते थे।
  • मुझे सबकुछ सुनाई पड़ रहा है।

 अभ्यास प्रश्न:

(1) निम्नलिखित पदबंधों में से मुख्य पद तथा आश्रित पद छाँटिए –

  • दूध बहुत अधिक मीठा है।
  • उसने सफेद घोड़ा देखा।
  • आप बहुत अच्छे आदमी है।
  •  शीला गाती हुई जा रही थी

 

HINDI GRAMMER हिंदी व्याकरण 

1- भाषा की ध्वनि व्यवस्था

2। हिंदी में वाक्य व्यवस्था 

3 । कारक

Moral stories in Hindi | हिंदी में नैतिक कहानियाँ

 

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