TGT full form अर्थात Trained graduate teacher. अगर आप स्नातक की डिग्री हासिल कर चुके हैं। और साथ में बी एड भी पूरा कर लिया है। तो आप यक़ीनन TGT के पद पर किसी भी विद्यालय में आवेदन भर सकते हैं। इसे प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक के रूप में भी जाना जाता है।
आजकल शिक्षा पद्धति में बहुत ही बदलाव आ गया है। विद्याथियों के सभी आयामों के विकास में एक शिक्षक का बहुत ही बड़ा हाथ होता है और यही कारण है कि आजकल शिक्षक का प्रशिक्षित होना अनिवार्य है। इसी कारण आज हर विद्यालय में TGT और PGT शिक्षक की ही मांग हमेशा रहती है।
शिक्षण के इतिहास पर अगर हम गौर करें तो हमें ज्ञात होगा कि प्राचीन काल में गुरु शिष्य की परंपरा प्रचलित थी। एक शिक्षक का सम्मान प्राचीन काल से होता रहा है। ये एक ऐसा पद होता है जिसके समक्ष सभी नतमस्तक हो जाते हैं। आज भी गुरु के प्रति सम्मान पुरे विश्व में व्याप्त है।
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TGT- Eligibility criteria
टीजीटी के लिए पात्रता के लिए आपको को कुछ मानदंडों को मानना होगा। अगर आप TGT के लिए पात्र हो जाते है तो आप किसी भी विद्यालय में 10 वीं कक्षा तक पढ़ाने के योग्य हो जाते हैं। निम्नलिखित में कुछ ऐसे मानदंड दिए गए है जिसे आप पूरा करके TGT के लायक बन सकते है।
१। उम्मीदवारों के पास स्नातक की डिग्री का होना आवश्यक है। ये डिग्री किसी भी यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थान या विश्वविद्यालय से अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी विषय में ले सकते हैं।
२। B. Ed. डिग्री – इस डिग्री का होना अनिवार्य हैं। ये दो वर्ष का शिक्षण प्रशिक्षण कार्यकर्म होता है । ये शिक्षण से सम्बंधित बारीकियों व् पद्धतियों से आपका परिचय करवाती है। ये एक शिक्षक के अंदर आत्मविस्वास भरने में अनमोल भूमिका निभाती है।
३। आयु – हर संस्थान में TGT के लिए अलग – अलग आयु सीमा निर्धारित की जा सकती है। पर मुख्यतः उम्मीदवारों की आयु 35 वर्ष से काम होनी चाहिए। प्राइवेट स्कूलों में ये काम या ज्यादा हो सकती है।
४। Government job– अगर आप सरकारी विद्यालयों में TGT के पद पर जाना चाहते है तो आपको स्नातक में 50 – 55 प्रतिशत अंक लाने होंगे। सरकार हर साल अपने विद्यालयों के लिए शिक्षक पदों की नियुक्ति के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करती हैं। उपर्युक्त सभी मानदंडों को पूरा कर आप इस परीक्षा में शामिल हो सकते है।
How TGT works in school
TGT works in school अर्थात एक TGT अध्यापक को एक स्कूल में किन विषयों को पढ़ाना होता है। या यूँ कह ले कि एक TGT का कार्य क्या होता है। आइये कुछ बिंदुओं से इस प्रश्न को समझते है।
- TGT full form अर्थात Trained graduate teacher जो स्नातक डिग्री के साथ शिक्षण में प्रशिक्षित होता है। ये कक्षा 10 वीं तक के छात्रों को पढ़ाने की योग्यता रखता है।
- एक TGT अध्यापक कक्षा 5 वीं से 10 वीं तक के विद्याथियों को पढ़ाता है।
- इन अध्यापको के विभिन्न विषय होते हैं। आप एक स्कूल में कक्षा 10 वीं तक जितने विषय देखे होंगे वे सभी विषय में ये अध्यापक पारंगत होते है।
- एक सवाल उठता है कि क्या तगत अध्यापकों को सभी विषय पढ़ाने पड़ते हैं जैसा हर छोटे बच्चों के स्कूलों में अक्सर देखा जाता है? तो इसका जवाब है – नहीं । आप जिस विषय में पारंगत है आप सिर्फ उसी विषय को ही पढ़ाएंगे।
- स्कूलों में पढ़ाये जाने TGT अधयापकों के कुछ विषय निम्नलिखित है।
- हिंदी, इंग्लिश , भूगोल, इसिहास , गणित, विज्ञानं, सामाजिक विज्ञानं, अन्य राज्य की कोई भाषा जैसे बंगाली, तेलगु, मराठी, आदि विषय एक स्कूल में हो सकते है और इनमे से कोई विशेष विषय से सम्बंधित अध्यापक उस विषय को पढ़ाते हैं।
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Is B Ed necessary for TGT?
एक प्रश्न हमेशा उम्मीदवारों के मन में उठता हैं कि क्या TGT के पद के लिए B. Ed आवश्यक है? तो इसके जवाब ‘हाँ ‘ है। आपको इस पद के लिए B. Ed की आवश्यकता होगी।
B. Ed. full form बैचलर ऑफ एजुकेशन है। जो अभ्यर्थी शिक्षा जगत में प्रवेश पाना चाहते है उन ये कोर्स करना अनिवार्य है। ये एक सामान्य व्यक्ति को शिक्षक के योग्य बनाता है। एक विद्यार्थी के मनोवृति को पहचानना तथा उसके अनुसार शिक्षण के पद्धतियों को उपयोग करना इस कोर्स के अंतर्गत आता है।
किसी भी विद्यालय के सेकेंडरी या हायर सेकेंडरी कक्षा के लिए एक प्रशिक्षित योग्य शिक्षक का होना अब अनिवार्य कर दिया है। आज से कुछ वर्षों पहले ये अनिवार्य रूप से लागु नहीं किया गया था। पर शिक्षा में अब बहुत बदलाव आ गया हैं और इन बदलावों के पहचानना भी बेहद आवश्यक है।
इस कोर्स के विशेष बिंदु पर आइये गौर करते है।
१। ये कोर्स 2 वर्षों का होता है। ये एक प्रशिक्षण कार्यक्रम हैं जिसे रेगुलर अर्थात कॉलेज में प्रवेश लेकर ही करना उत्तम होता है। वैसे IGNOU से भी डिस्टेंस मोड में इसे किया जा सकता है। पर इसके लिए आपको शिक्षण अनुभव की आवशयकता होगी।
२। इसमें प्रवेश पाने के लिए आपको यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थान या विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री होनी चाइये।
३। आपको अपने मान्यता प्राप्त विद्यालय या संस्थान से 10+2 में 50% से 55% मार्क्स लाना अनिवार्य होगा।
४। इस कोर्स में प्रवेश पाने के लिए कई संसथान अपने स्तर पर प्रवेश परीक्षा आयोजित करती है और आपको इस प्रवेश परीक्षा को उत्तीर्ण करना होगा। पर कई संसथान सिर्फ स्नातक में आये नंबर के आधार पर प्रवेश देती है।
५। आप सरकारी या गैर सरकारी संस्थानों से बी एड कर सकते हैं। पर आपको ये देखना है कि वह संसथान NCTE से मान्यता प्राप्त होना चाहिए।
६। ये प्रशिक्षण एक व्यक्ति को अपने पेशे को समझने में मदद करता है। शिक्षण का कार्य बहुत ही व्यापक होता है। युवा विद्याथियों को पुस्तकीय ज्ञान के अतिरिक्त सामाजिक , धार्मिक, सांस्कृतिक आदि के भी दर्शन करना एक शिक्षक का कार्य होता है और ये प्रशिक्षण इन्ही बिंदुओं को और परिस्कृत करता है।
७। शिक्षण का मतलब किसी किताब को उठाकर एक अध्याय को समाप्त करना नहीं होता है अपितु एक गुणवक्ता पूर्ण शिक्षण से एक अतुलनीय ज्ञान का वातावरण तैयार करना होता है।
८। ये कार्यक्रम एक सुनियोजित प्रक्रिया से शिक्षण को उपयुक्त बनता है। और आप जानते ही हैं कोई भी कार्य सुनियोजित तरह से करने पर उसके फल सकारात्मक ही होते है।
९। इस कार्यक्रम के तहत हर शिक्षक में नेतृत्व गुणों का विकास करना होता है। एक सुदृण शिक्षक ही हर मुश्किल के समक्ष नतमस्तक नहीं होता अपितु उसका हल खोजता है।
१०। एक शिक्षक के अंदर संवेदनशीलता का विकास करना इस कार्यक्रम का मूल उद्देस्य होता है। विद्यार्थियों की मनोवृति की समझ के बिना एक सकारात्मक शिक्षण की कल्पना हम नहीं कर सकते। एक कक्षा में प्रत्येक विद्यार्थी अलग – अलग होता है। उसके विचार, मनोचिंतन, व्यव्हार, बुद्धि आदि अलग हो सकती है। इन सबको जानने में ये कोर्स बहुत ही मददगार सिद्ध होता है।
Difference between TGT and PGT
TGT full form अर्थात Trained graduate teacher. ग्रेजुएट अर्थात स्नातक, जो वस्तुतः 3 वर्ष की डिग्री होती है। आप स्नातक करने के पश्चात बी एड करके किसी भी स्कूल में 10 वीं तक की कक्षा में अध्यापक के तौर पर आवेदन कर सकते है। इन अध्यापको का मासिक वेतन INR 45000/ से INR 55000/- तक हो सकते है।
कक्षा 10 वीं तक के सभी विषय में आप अपनी स्नातक की डिग्री हासिल कर शिक्षा जगत में कदम रख सकते है। या यूँ कह ले कि आपको शिक्षण के क्षेत्र अगर कदम रखना है तो उन स्कूली विषयों में से किसी एक विषय में अपने आपको पारंगत बनायें।
आप सभी विद्याथिओं व् अभ्यथियों को सलाह है कि अगर TGT में अपना भविष्य बनाना चाहते है, तो स्कूल में पढ़ाये जाने वाले विषयों में से किसी एक को चुन लें और उसी में गहन अध्ययन करें और उसी में डिग्री भी हासिल करें ।
PGT full form अर्थात Post graduate teacher. ये अध्यापक पोस्ट ग्रेजुएट (स्नातकोत्तर) होते हैं। ये किसी एक विषय में पारंगत होते है। एक विद्यालय में 11 वीं से 12 वीं तक की कक्षाओं में अद्यापन का कार्य पीजीटी के द्वारा ही किया जाता है। विद्यालयों में इन्हे मासिक वेतन 60000/- रूपए तक भी हो सकते है।
अगर आप पीजीटी में अपना भविष्य देख रहे हैं तो डिग्री में आपको निश्चित ही उन विषयों को चुनना होगा जो उच्च माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ाये जाते है। ये विषय तीन भागों में विभाजित किये हुए दिखाई देते है। जैसे – science , arts और commerce.
स्कूल के सम्बन्ध में PRT, TGT और PGT
स्कूल के सम्बन्ध में PRT, TGT और PGT एक पद है जो एक स्कूल के विभिन्न कक्षाओं में अद्यापन का कार्य करते है। प्रत्येक शिक्षक अपनी योग्यताओं के अनुसार विभिन्न पदों पर नियुक्त होते है।
- PRT FULL FORM अर्थात Primary Teacher. ये अध्यापक कक्षा 1 से 5 वीं तक के विद्यार्थिओं के पढ़ाते हैं।
- TGT full form अर्थात Trained graduate teacher. ये अध्यापक कक्षा 6 वीं से 10 वीं तक के विद्यार्थिओं को पढ़ाते हैं।
- PGT full form अर्थात Post graduate teacher. ये अध्यापक कक्षा 11 वीं से 12 वीं तक के विद्यार्थिओं को पढ़ाते हैं।
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मैंने इस TGT full form ब्लॉग से आप तक इसकी पूरी जानकारी पहुंचने की कोशिस की है। शिक्षण हमारे समाज में सबसे सम्मानीय पदों में से एक है। पूरा समाज व् देश इसी के द्वारा सुसज्जित होता है। एक शिक्षक के बिना एक अच्छे समाज की कल्पना नहीं की जा सकती । अगर आपको मेरी ये जानकारी अच्छी लगी तो comment करके मुझे जरूर बताएं और आगे भी शेयर करें।