Upvakya | उपवाक्य |Upvakya kise kahate hain | हिंदी उपवाक्य | upvakya को हम इस ब्लॉग में सरल भाषा में समझेंगे। Upvakya को पहले हम उदाहरण के माध्यम से समझने का प्रयास करते हैं।
निम्नलिखित वाक्यों की संरचना पर ध्यान दीजिए-
क – मुझे कल दिल्ली जाना है।
ख- रोहित को कल अमरीका जाना है और फिर वहाँ से पेरिस पहुँचना है।
ग- रोहित को यह सूचना मिली कि सीता को अमरीका जाना है।
घ – सीता को सूचना मिली है कि रोहित को कल अमरीका जाना है और फिर वहाँ से पेरुस पहुंचना है।
इन चारों वाक्यों में वाक्य “क” एक वाक्य है। वाक्य (ख) तथा (ग) दो वाक्यों से मिलकर बने हैं तथा वाक्य घ) तीन वाक्यों से मिलकर बने है। लेकिन ये सभी ( चारों) वाक्य एक वाक्य के नमूने हैं।
लेकिन ये सभी (चार) वाक्य एक वाक्य के उदाहरण हैं। ऐसे छोटे वाक्य जो किसी वाक्य में आते हैं, उपवाक्य उपवाक्य upvakya कहलाते हैं।
वाक्य (क) सरल वाक्य और वाक्य (ख) संयुक्त वाक्य हैं।
वाक्य (ग) में भी दो उपवाक्य है, लेकिन दूसरा उपवाक्य ‘रोहित को यह सूचना मिली‘ अपने में अपूर्ण है। यह उपवाक्य अपने से पहले उपवाक्य ‘ कि सीता को अमरीका जाना है‘ पर आश्रित है तथा मिश्र वाक्य के रूप में है।
वाक्य (घ) में एक वाक्य स्वतंत्र है। “रोहित को कल अमरीका जाना है“ तथा दूसरा आश्रित उपवाक्य “कि फिर वहाँ से पेरुस पहुंचना है”, इस तरह के उपवाक्य से मिलकर बना बाक्य मिश्र संयुक्त वाक्य कहलाता है।
उपवाक्य वाक्यों की तुलना में छोटी इकाइयाँ हैं। एक वाक्य एक खंड या कई खंडों से बना हो सकता है। एक खंड एक वाक्य का एक हिस्सा है जिसमें प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से एक विषय और एक विधेय होता है, और इसका अपना अर्थ होता है।
एक साधारण वाक्य अपनी रचना की दृष्टि से एक ही उपवाक्य से बना होता है, अर्थात जब उपवाक्य स्वतंत्र होता है तो वह वास्तव में एक साधारण वाक्य होता है। यदि हम इस वाक्य को दूसरे वाक्य के साथ एक वाक्य में मिला दें, तो यह सरल वाक्य ही उपवाक्य upvakya कहलाता है।
उदाहरण के लिए, मेरा भाई मोहन बीमार है।, इसलिए वह आज विद्यालय नहीं आ पाएगा। एक वाक्य है, लेकिन इस वाक्य में दो उपवाक्य है-(i) मेरा भाई मोहन बीमार है’ (ii) ‘वह आज विद्यालय नहीं आ पाएगा।
सामान्यतः एक सरल वाक्य और ‘अकेला स्वतंत्र उपवाक्य’ एक ही हैं। एक उपवाक्य में कम से कम एक संज्ञा वाक्यांश / संज्ञापदबंध / क्रिया पदबंध को हम देख सकते हैं ।
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upvakya “उपवाक्य” के प्रकार:
उपवाक्य को हम तीन तरह से या रूप में देख सकते हैं –
- (क) संज्ञा उपवाक्य
- (ख) विशेषण उपवाक्य
- (ग) क्रिया विशेषण उपवाक्य |
संज्ञा उपवाक्य :
जो उपवाक्य मुख्य उपवाक्य / प्रधान उपवाक्य की किसी संज्ञा या संज्ञा पदबंध के बदले आता है, वह संज्ञा उपवाक्य कहलाता है। अर्थात जो उपवाक्य वाक्य में संज्ञा या संज्ञा पदबंध का काम करते हैं, वे संज्ञा उपवाक्य upvakya कहलाते हैं।
संज्ञा पदबंध के स्थान पर जब कोई उपवाक्य आता है तो उसे संज्ञा उपवाक्य कहा जाता है। ध्यान दे – ” की ” का प्रयोग कर भी सकते हैं और नहीं भी। जैसे –
- मुझे विश्वास है कि आप दीपावली पर घर अवश्य आओगे। (संज्ञा उपवाक्य के पहले “कि” का प्रयोग)
- तुम नहीं आओगे, मैं अच्छी तरह जानता था। ( संज्ञा उपवाक्य के पहले “कि” का लोप )
- जान पड़ता है कि माताजी कुछ अस्वस्थ हैं। (‘जान पड़ता’ क्रिया का उद्देश्य )
- सीता को विश्वास है कि राम अवश्य घर आएंगे । (विश्वास का समानाधिकरण )
- पड़ोसी ने मुझसे कहा कि रोहित बहुत खाता हैं।
विशेषण उपवाक्य :
जो उपवाक्य वाक्य में प्रयुक्त संज्ञा पद की विशेषता बताते हैं, वे विशेषण उपवाक्य upvakya कहलाते हैं। जैसे-
- तुम्हारा घर कहाँ है, जिसमें तुम्हारे माता – पिता रहते हैं । (‘एलबम’ संज्ञा पद विशेषण )
- हिंदी में जो ( जिस, जिसे, जिसको, जिसमें, जिसपर जिसका तथा जिसके लिए आदि) वाले उपवाक्य प्रायः विशेषण उपवाक्य होते हैं। विशेषण उपवाक्य अधिकतर वाक्य के प्रारंभ में या अंत में प्रयुक्त होते हैं।
विशेषण उपवाक्य वाक्य के मध्य में भी देखे जाते हैं, जैसे –
- जो भारत में रहते हैं वो बहुत में ईमानदार होते हैं । (वाक्य के आरंभ में)
- वह खिलौना घर पर है, जो हम बाजार से लाये थे । (वाक्य के अंत में )
- वह खिलौना , जो बाजार से लाये थे , टूट गया है। वाक्य के मध्य में )
अन्य उदाहरण –
- आपकी बेटी कहाँ है, जिसे मैंने कल स्कुल में देखा था। (वाक्य के अंत में)
- जो लोग झूठ बोलते हैं, उनपर भरोसा नहीं होता । ( वाक्य के प्रारंभ में )
- जिस नौकरी को खोज रहा हूँ वो तो है ही नहीं । (वाक्य के आरंभ में”)
- जिससे मेरी शादी हुई , वो तो बंगाल की है । ( वाक्य के आरंभ में )
- वो प्रश्न पढ़ लो, जो कल परीक्षा में आने वाला है । ( वाक्य के अंत में)
- रोहित के पास एक घड़ी है, जो तेल से चलती है। ( वाक्य के अंत में )
- जिसे हम जानते नहीं, उसपर क्या भरोसा करेंगे। ( वाक्य के आरंभ में)
- उसी के पास जाओ , जिसके पास धन हो । ( वाक्य के अंत में)
- जिन लोगो की बात तुम मानते हो उनकी नियत ठीक नहीं ।(वाक्य के प्रारंभ में)
- जो पीली कमीज पहना है वह तो पागल है । (वाक्य के प्रारंभ में)
- उस बच्चे को आवाज दो, जो पानी में भीग रहा है । ( वाक्य के अंत में )
- बाहर जो घूम रहा है , वो बहुत बतमीज़ लग रहा है। ( वाक्य के अंत में )
क्रिया विशेषण उपवाक्य :
जो उपवाक्य मुख्य / प्रधान उपवाक्य की क्रिया की विशेषता बनाता है, उसे क्रिया विशेषण उपवाक्य upvakya कहते हैं। क्रिया विशेषण खंड क्रिया की विशेषताओं को क्रिया विशेषण के रूप में भी गिनता है, अर्थात खंड में समय, स्थान, तरीके, कारण, दिशा और परिणाम जैसी जानकारी होती है।
क्रिया विशेषण खंड कभी-कभी मुख्य वाक्य के कार्य के अलावा विशेषण या क्रिया विशेषण की विशेषताओं का वर्णन करते हैं।, जैसे -यदि मेहनत करोगे, तो प्रथम श्रेणी में पास हो जाओगे | इस मिश्र वाक्य में दो उपवाक्य हैं– (1) यदि मेहनत करोगे‘ तथा दूसरा उपवाक्य– ‘प्रथम श्रेणी में पास हो जाओगे‘।
“प्रथम श्रेणी में पास हो जाओगे”- मुख्य उपवाक्य है तथा ‘यदि मिहनत करोगे; आश्रित उपवाक्य है। यह आश्रित उपवाक्य क्रिया विशेषण का काम कर रहा है, इसलिए यह क्रिया विशेषण उपवाय है।
अन्य उदाहरण –
- जब मैं इटली में रहता था, रोज फिल्म देखता था। (समय) )
- जब पूछेंगे, तब सब कुछ बता दूँगा। (समय)
- जहाँ मैं रहता था, वहाँ अब कोई नहीं रहता। (स्थान)
- मैं भी वहीं जा रहा हूँ, जहाँ से तुम आए हो । ( स्थान )
- जैसा मैं कहूँ वैसा ही करो । (रीति)
- जैसा वह पढ़ाती है, वैसा कोई नहीं पढ़ाता। (रीति)
- वह इतना कमजोर है कि चल भी नहीं सकता। ( “कमजोर” विशेषण की विषेशता )
- वह इतना बेईमान हो गया कि सबको धोखा देता है। ( “बेईमान” विशेषण की विषेशता )
- वह इतनी जल्दी बोलता है कि कुछ समझ में नहीं आता। ( “जल्दी” क्रिया विशेषण की विषेशता )
- गाडी इतनी तेज चल रही थी, जैसे हवाई जहाज हो । ( ” तेज ” क्रिया विशेषण की विषेशता )
क्रिया विशेषण उपवाक्यों के पाँच उपभेद
क्रिया विशेषण के विवरण के अनुसार निम्नलिखित पाँच क्रिया विशेषण उपवाक्य बनते हैं –
क । समय वाचक / कालवाचक क्रिया विशेषण उपवाक्य:
ये उपवाक्य निश्चित काल तथा काल अवधि की सूचना देते हैं, जैसे-
- जब स्टेशन पहुंचा, तब गाड़ी प्लेटफार्सी घर खड़ी थीं।
- जब चाय में उबाल आजाए, तभी उसे उतार लेना ठीक है।
- जब रात हो रही थी , तब मैंने उसे बाहर खड़े देखा था ।
- जब-जब मैंने कहा , तब-तब वैसा ही हुआ ।
- जब मैं घर पर था , बहुत खुश रहा करता था।
- जब आपका फोन आया मैं नहा रहा था।
ख। स्थान वाचक क्रिया विशेषण उपवाक्य
स्थान वाचक क्रिया विशेषण उपवाक्य स्थिति तथा गति की सूचना देते हैं, जैसे –
- जहाँ आपका मकान है, वहाँ शायद एक पुराना पेड़ था।
- जिधर यह बस जा रही है, उधर ही रेलवे स्टेशन है।
- जहाँ मैं रहता हूँ ,वहीं रोहित का घर भी है।
- यह वही जगह है ,जहाँ आपने झंडा गाड़ा था।
- जिधर से आवाज़ आई थी , उधर ही राजा दशरथ ने तीर चला दिया ।
- जहाँ तुम्हारे बड़े भाई राम गए हैं, वहीं तुम भी जाओ ।
ग। रीतिवाचक क्रिया विशेषण उपवाक्य :
रीतिवाचक क्रिया विशेषण उपवाक्य रीति की सूचना देते हैं। रीतिवाचक क्रिया विशेषण उपवाक्य प्राय: जैसे, जैसी, जैसा ,ज्यों, (मानो, मानहुँ कविता में) आदि शब्दों से आरंभ होते हैं. जैसे–
- जैसा मैं कहूँ, वैसा ही करना।
- रोहित ने वैसा किया, जैसा सोचा भी न था।
- वह इतना चालक है मानों सब कुछ खरीद लेगा ।
घ। परिमाण वाचक किया विशेषण उपवाक्य :
परिमाण वाचक क्रिया विशेषण उपवाक्य परिमाण की सूचना देते हैं। ये उपवाक्य ज्यों–ज्यों, जैसे–जैसे, जहाँ तक, जितना कि आदि शब्दों से आरंभ होते हैं, जैसे –
- जैसे-जैसे हम बूढ़े होते हैं, वैसे वैसे बीमार होते जाते है।
- तुम जितना पढ़ोगे, उतना ही तुम्हें लाभ होगा।
- ज्यों-ज्यों वह बड़ा हो रहा है (त्यों-त्यों) बिगड़ता जा रहा है।
- जितना तुम मुझसे चाहते हो, उतना मैं कर नहीं पाउँगा।
- जितना तुम रोओगे , उतना ही लोग तुम्हे ताना देंगे ।
कारण वाचक या परिणाम वाचक क्रिया विशेषण उपवाक्य :
ये उपवाक्य कार्य का कारण या परिणाम बताते हैं। ये उपवाक्य यदि, क्योंकि, ताकि, जिससे कि चूँकि, ओ, अगर, चाहे कैसा, कितना शब्दों से शुरू होते हैं।
कार्य कारण वाचक क्रिया विशेषण उपवाक्यों के साथ तो भी, किंतु, तथापि, इसलिए, इतना, फिर भी, तो भी, परन्तु आदि शब्द आते हैं, जैसे-
- वह नहीं मानेगा क्योंकि वह जिद्दी हैं।
- वह जाएगा जरूर क्यूंकि उसका कल साक्षात्कार है।
- मैं कल बैठक में नहीं आ सकता क्यूंकि मैं बीमार हूँ।
- यदि मैंने मेहनत की होती, तो अवश्य उत्तीर्ण हो जाता ।
- यद्यपि तुम मोटे-ताजे हो, तो भी मुझसे जीत नहीं पाओगे ।
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