RSS FULL FORM

RSS FULL FORM अर्थात  RASTRIYA SWYAMSEWAK SANGH ( राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ) है। RSS “राष्ट्रीय स्वयंसेवी/देशभक्त संगठन” के नाम से विश्वभर में प्रसिद्ध है। इसे हम दुनिया का सबसे बड़ा स्वैच्छिक तथा हिंदू राष्ट्रवादी संगठन मानते है। विशेषतः यह  दक्षिणपंथी, धर्मार्थ, शैक्षिक, व्  गैर-सरकारी संगठन के रूप में कार्य करता है।

RSS

RSS की स्थापना – 

अगर इतिहास के पन्नो को पलटें तो हमें ज्ञात होगा कि आरएसएस की स्थापना केशव बलिराम हेडगेवार ने 27 सितंबर 1925 को की थी। हेडगेवार हिंदू राष्ट्रवादी सिद्धांतकार विनायक दामोदर से बहुत प्रभावित थे, विशेषतः  सावरकर जी के लेखन के विषय से उभरे लोकहितवादी विचार हेडगेवार जी को कुछ समाज के प्रति करने को प्रोत्साहित कर रहे थे ।
इसकी स्थापना के समय, इसमें केवल 17 सदस्य थे। आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लाखों सदस्य और पुरे देश में  लगभग 56860 शाखाएं हैं।


RSS FULL FORM

RSS की विचारधारा 

 

विचारधाराएं समय अनुसार पनपती और बदलती रहती है। RSS की विचार धारा की बात करें तो ये न समय के साथ बदली न ही इसकी जरुरत ही महसूस की गई। इनके विचार हिन्दू धर्म की स्वतंत्रता और संरक्षण से समाहित हैं। ये हिन्दू राज्य बनाने के पक्ष में हमेशा से रहे हैं। 

वे अपने हिन्दू धर्म के उत्थान व् सांस्कृतिक विरासत को संजोकर रखने लिए हमेशा से प्रयासरत रहे हैं। उनकी विचारधारा में भारत माता की सेवा को सर्वपरि रखा है। यह संगठन हिन्दू अनुशासन के माद्यम से मानव के चरित्र को निखारने का प्रयास करती है तथा प्रशिक्षण देकर अनुशासित करती है।


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संगठन के आलोचनात्मक पक्ष 

वस्तुतः  इसकी विचारधारा भारत की निस्वार्थ सेवा के सिद्धांत पर आधारित है। ये सांस्कृतिक, राजनीतिक और धार्मिक हित को ध्यान में रख कर कार्य करती है। ये हिंदू समुदाय को एकजुट रहने की प्रेरणा देती है।  

पर कभी-कभी इसे एक एक चरमपंथी संगठन और एक अर्धसैनिक संगठन के रूप में इसकी आलोचना की जाती है। इसकी आलोचना भी की गई थी जब इसके सदस्यों ने मुसलमानों के खिलाफ हिंसा में भाग लिया था।

अगर इतिहास को देखे तो ज्ञात होगा कि ब्रिटिश शासन के दौरान और आजादी के बाद इसे तीन बार प्रतिबंधित किया गया था। इस संगठन का एक गौरवपूर्ण इतिहास रहा है। पर समयोपरांत इसे आलोचनाओं से भी गुजरना पड़ा। 

इसे पहली बार 1948 में प्रतिबंधित किया गया था, जब आरएसएस के एक पूर्व सदस्य नाथू राम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी। यह दूसरी बार आपातकाल (1975-77) के दौरान और 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद तीसरी बार प्रतिबंधित दौर से गुजरना पड़ा था।


RSS का कार्य और लक्ष्य 
  • मानव मात्र की सेवा ।
  • देश हित को सर्वोपरि रखना है।
  • राजनितिक दृस्टि से सरकार के सकारात्मक विचारधारा का स्वागत करना है, पर त्रुटि होने पर आलोचना से भी नहीं कतराते हैं।
  • हिन्दू धर्म और संस्कृति को संरक्षण प्रदान करना ताकि आने वाली पीढ़ी इससे लाभान्वित हो सके। शिक्षा और अनुशासन पर विशेष दृस्टि रखना ताकि एक उज्जवल समाज का गठन किया जा सके।
  • ये सामाजिक विषयों से जुड़ी समस्त परियोजनाओं जैसे विद्यालय, सड़क, ग्राम विकास आदि पर सरकार का ध्यान आकर्षित करती है ताकि मानव समाज लाभान्वित हो सके।

मुख्य तथ्य

  • सदस्यता – RSS संगठन में सदस्यता धारण करने के लिए कोई कोई औपचारिकता नहीं करनी होती है। आरएसएस की शाखाओं में शामिल होने वाले लोगों को स्वयंसेवक कहा जाता है, और कोई भी हिंदू स्वयंसेवक बन सकता है।
  • संगठन की शाखा में, विभिन्न आयु समूहों के स्वयंसेवक एक पूर्व निर्धारित बैठक स्थान या स्थल पर प्रतिदिन एक घंटे के लिए एकत्रित होते हैं। दैनिक गतिविधियों में शारीरिक व्यायाम, देशभक्ति कोरस, विभिन्न विषयों पर समूह चर्चा, मातृभूमि के लिए प्रार्थना करना आदि की जाती हैं।
  • हिन्दू अलग धर्म के लोगों की सदस्यता के बारे में संगठन मानती है कि भारत में रहने वाले सभी भारतीय एक ही धरती के संतान है और अगर वे संगठन के सभी नियमो से सहमत हैं और उनका पालन कर सकते हैं तो वे भी स्वयंसेवक बन सकते हैं।
RSS में प्रयोग किये जाने वाले शब्द 

आरएसएस में जो शब्द इस्तेमाल किये जाते है वे संस्कृत शब्दों पर मुख्यतः आधारित होती है। साधारण जान इनको समझने में कठिनाई महसूस करता है। निम्नलिखित कुछ संगठन में प्रयुक्त प्रचलित शब्द दिए जा रहे हैं जो आपको संगठन को समझने में विशेष सहायता करेंगी ।

  1. सरसंघचालक: यह आरएसएस के सर्वोच्च नेता होता हैं स्वयंसेवक इनको  मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक’ के रूप में पूजनीय मानते है।
  2. सरकार्यवाह: इन्हे General Secretary “महासचिव” के रूप में मान सकते हैं। वह संगठन के कार्यकारी प्रमुख होते हैं। इनका कार्य  संघ के सभी मामलों का संचालन करना हैं।
  3. सह सरकार्यवाहः  इन्हे Joint General Secretary  “संयुक्त महासचिव” मानते हैं। इस पद पर  एक से अधिक सदस्य हो सकते हैं। वर्तमान में अगर देखे तो संघ के मामलों के संचालन में सरकार्यवाह की सहायता के लिए चार सह-सरकार्यवाह बड़ी तत्परता से कार्य कर रहे हैं।
  4. प्रचारक: जो लोग संघ के मिशन और उद्देश्य से प्रेरित होते हैं और इस मिशन को बढ़ावा देने के लिए खुद को समर्पित करते हैं, उन्हें आरएसएस की भाषा में प्रचारक कहा जाता है। 
  5. मुखिया-शिक्षक: ये प्रत्येक शाखा में होते हैं। इनको  शाखा का प्रभारी प्रमुख या in-charge भी कहते है।
  6. कार्यवाह: इन्हे  शाखा के कार्यकारी प्रमुख या executive head भी कहते है। 
  7. गटनायक: इन्हे group leader या  एक समूह नेता के रूप में शाखा में पहचाने जाते है।

 

RSS FULL FORM blog” में आपको यथासंभव जानकारी प्रदान करने कोशिस की गई है। उम्मीद है आपको RSS FULL FORM के साथ – साथ इस विषय से जुड़े बहुमूल्य तथ्य से जरूर लाभान्वित हुए होंगे। अगर ये जानकारी आपको अच्छी लगे तो कृपया इसे share जरूर करने का कष्ट करें ।

 

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